
Bharat Bandh: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आज देशभर में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ओर से भारत बंद का आह्वान किया गया है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी और श्रमिक शामिल हो सकते हैं। हड़ताल का सबसे बड़ा असर बैंकिंग, डाक, बीमा, परिवहन, खनन, इस्पात और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर पड़ने की संभावना है।
श्रमिकों की प्रमुख मांगें
हड़ताल में शामिल सीटू, इंटक, एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने कई मुद्दों पर सरकार से नाराज़गी जाहिर की है। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- चारों श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को वापस लिया जाए
- निजीकरण और ठेका प्रथा को बंद किया जाए
- न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह किया जाए
- पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए
- मनरेगा मजदूरी और कार्यदिवस में वृद्धि की जाए
- शहरी बेरोजगारों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू की जाए
- बेरोजगारी दूर करने के लिए बड़े स्तर पर सरकारी भर्तियां शुरू की जाएं
- आउटसोर्सिंग और कॉन्ट्रैक्ट बेस नौकरियों पर रोक लगे
- स्वास्थ्य, शिक्षा और राशन जैसी मूलभूत सुविधाओं पर सरकार खर्च बढ़ाए
- दस साल से लंबित राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन जल्द किया जाए
किसानों ने भी जताया समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे संगठन भी इस हड़ताल के समर्थन में उतर आए हैं। किसान संगठनों ने ऋण माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ विरोध जताया है।
आरएसएस से जुड़ा संगठन हड़ताल से दूर
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने इस हड़ताल से खुद को अलग रखते हुए इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया है। BMS ने कहा है कि वह हड़ताल में भाग नहीं लेगा।
उद्योगों और सेवाओं पर पड़ सकता है असर
सीटू के राष्ट्रीय सचिव ए.आर. सिंधु के अनुसार, "देशभर में संगठित और असंगठित क्षेत्रों के करीब 25 करोड़ श्रमिक हड़ताल में शामिल होंगे। औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए जाएंगे।"
इस हड़ताल से NMDC लिमिटेड, कोयला और इस्पात कंपनियों, राज्य सरकार के विभागों और पीएसयू कर्मचारियों के भी जुड़ने की संभावना है। इसके अलावा, डाक सेवाएं, बीमा कार्यालय, और राजमार्ग निर्माण परियोजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
इससे पहले भी हुए हैं भारत बंद
ट्रेड यूनियन संगठनों ने इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को भी देशव्यापी हड़तालें की थीं। इन आंदोलनों में भी मजदूरों, किसानों और अन्य वर्गों ने केंद्र की नीतियों का विरोध किया था।
आज का भारत बंद श्रमिकों और किसानों की संयुक्त शक्ति का प्रदर्शन माना जा रहा है। सरकार के खिलाफ नाराज़गी और नीतिगत फैसलों के विरोध में यह हड़ताल आर्थिक गतिविधियों पर असर डाल सकती है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस हड़ताल और उसके पीछे की मांगों पर क्या रुख अपनाती है।
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