
जनता और पुलिस का ,विश्वास और सुरक्षा का , एक एैसा रिश्ता है। जिसे पुलिस 24 घंटे ड्यूटी करके निभाती है । दिन हो या रात , सुबह हो या शाम , ईद हो या होली, दीवाली या फिर और कोई त्यौहार ,हर समय भूख और प्यास , परिवार और बच्चों सभी को त्याग कर 24 घंटे ड्यूटी करती है और आप की सुरक्षा मे खडी मिलती है। मगर पुलिस के लिए अब भी कुछ लोगों का नजरिया गलत ही रहता है । और वह सारी इंसानियत भूलकर पुलिस को निशाना बना देते हैं । जैसा कि हाल ही में थाना गौरा क्षेत्र में पुलिस के साथ हुआ ।
अगर देखी जाए तो पुलिस का वो कार्य लोगों को नहीं दिखाई पडता है। जो पुलिस के कर्मचारी और अधिकारी ड्यूटी के साथ-साथ इंसानियत की मिशाल भी पेश करते हैं ।
तुलसीपुर मैं एक व्यक्ति ठंडक में दारु पीकर मर जाता है । जिसके गरीब परिवार वालों के पास क्रियाक्रम के लिए पैसे नहीं होते हैं। तुलसीपुर सीओ योगेंद्र कृष्ण नारायण त्रिपाठी अपने पास से उस व्यक्ति के क्रियाक्रम के लिए पैसे देते हैं इस तरह की मदद एक गरीब परिवार के लिए एक पुलिस अधिकारी द्ारा ,ये पुलिस के प्रति गलत नजरिया रखने वालो के मुह पर इंसानियत का तमाचा है पुलिस का गौरव बढाने का कार्य ।
इसी तरह प्रभारी निरीक्षक रेहरा जीतेंद्र कुमार टंडन को शाम को एक छोटी बच्ची रोती बिलखती मिलती है । रात भर थाना रेहरा की पुलिस परेशान रहती है और सुबह तक उस बच्ची के परिवार वालों को ढूंढकर उस बच्ची को परिवार के हवाले कर देते हैं ।
इसी तरह कोतवाली उतरौला के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार सिंह की टीम ने भी इंसानियत की मिसाल कायम करने वाला काम किया है । एक दुकान में आग की खबर पर तुरंत संतोष कुमार सिंह पहुंचते हैं अपनी टीम के साथ ,और खुद ही बाल्टी में पानी ला ला कर आग बुझाने की कोशिश करते हैं । इतना ही नहीं संतोष कुमार सिंह के साथ पूरी टीम आग बुझाने में लग जाती है। जिसमें प्रभारी निरीक्षक उतरौला संतोष कुमार सिंह का वर्दी और हाथ दोनो आग की लपटो मे झुलस जाता है । और सिपाही लक्ष्मण चौधरी का बाल भी आग मे जल जाता है। इस तरह अपनी जान की परवाह न करके प्रभारी निरीक्षक उतरौला संतोष कुमार सिंह ने इंसानियत की मिसाल पेश की, ये पुलिस का जनता के प्रति काम करने के अपने तरीके का सबूत है । देश बदल रहा है नए-नए टेक्निक चल रहे हैं लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता अभी भी पुलिस के लिए वही पुरानी है। हम एक त्यौहार अपने बच्चों के साथ नहीं मनाते हैं तो हमें लगता है कि हमने क्या कर दिया , लेकिन जब त्योहार होते हैं तभी पुलिस अपने परिवार से दूर आपकी शांति व्यवस्था और सुरक्षा के लिए हर चौराहे और गली कूचो में गश्त करती नजर आती है। हमें जरूरत है मित्र पुलिस के प्रति मानसिकता बदलने की , हां हम यह भी मानते हैं कि पुलिस में कहीं कोई अपने पावर और पद का नाजायज फायदा भी उठाता होगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पूरे विभाग को ही एक की गलती से बुरा मान लिया जाए।
घर ना जाए तो परिवार का टेंशन ,ड्यूटी पे रहे तो अपराधियों का टेंशन ,ड्यूटी 24 घंटे ,ना सोने की चिंता, ना खाने पीने का टाइम, यह है मित्र पुलिस । जरूरत है पुलिस के प्रति मानसिकता बदलने की , मानसिकता बदलिए पुलिस आप की शत्रु नही मित्र है।
अनवार अहमद/ शरीफ अंसारी, बलरामपुर।
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