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#बाबरी विवाद - अगर फैसला मुस्लिमों के हक में हो तो वे जमीन हिंदुओं को दे दें : कल्बे सादिक

शिया मौलवी कल्बे सादिक ने रविवार को कहा कि अगर बाबरी विवाद पर फैसला मुस्लिमों के हक में हो तो उन्हें जमीन खुशी से हिंदुओं को दे दी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि अगर फैसला मुस्लिमों के हक में नहीं आया तो उन्हें शांति से उसे मंजूर कर लेना चाहिए।

#बाबरी विवाद - अगर फैसला मुस्लिमों के हक में हो तो वे जमीन हिंदुओं को दे दें : कल्बे सादिक

शिया मौलवी कल्बे सादिक ने रविवार को कहा कि अगर बाबरी विवाद पर फैसला मुस्लिमों के हक में हो तो उन्हें जमीन खुशी से हिंदुओं को दे दी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि अगर फैसला मुस्लिमों के हक में नहीं आया तो उन्हें शांति से उसे मंजूर कर लेना चाहिए। बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड ने 8 अगस्त सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बोर्ड अयोध्या मामले में रिस्पॉन्डेंट (प्रतिवादी) नंबर 24 है। हालांकि, उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया था। जो अपनी प्यारी चीजें दूसरों को देता है, बदले में उसे हजारों चीजें मिलती हैं।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुंबई में वर्ल्ड पीस एंड हारमनी कॉन्क्लेव में कल्बे सादिक ने बाबरी विवाद मुद्दे पर शांति की वकालत की। उन्होंने कहा, "हमें देश की सर्वोच्च अदालत पर पूरा भरोसा है। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है तो उन्हें विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए। फैसला जो भी आए, दोनों ही पक्षों को उसका सम्मान करना चाहिए। जो अपनी सबसे प्यारी चीज दूसरों को देता है, बदले में उसे हजारों चीजें मिलती हैं।कल्बे सादिक के बयान पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, "मौलाना साहब ने हमारा दिल जीत लिया है। भगवान राम न तो हिंदुओं के हैं, न मुस्लिमों के, भगवान राम भारत की आत्मा हैं।शिया वक्फ बोर्ड ने और क्या कहा है अयोध्या विवाद में 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी।

इस दौरान शिया सेंट्रल बोर्ड ऑफ उत्तर प्रदेश ने अपने एफिडेविट में कहा था- बाबरी मस्जिद का इलाका हमारी प्रॉपर्टी है, वहां राम मंदिर बनाया जाना चाहिए। इस विवाद के हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत का अधिकार भी बोर्ड को ही है। इस बड़े विवाद के हल के लिए बोर्ड एक कमेटी बनाना चाहता है और इसके लिए उसे वक्त दिया जाए। बता दें कि बोर्ड ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ही एफिडेविट दायर किया है।बता दें कि 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच 3 हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इसे दी गई चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच 11 अगस्त से सुनवाई शुरू कर चुकी है।
फाइनल सुनवाई विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं बरसे से एक दिन पहले 5 दिसंबर को होगी।11 अगस्त को सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी दस्तावेजों का ट्रांसलेशन नहीं हो पाया है, इसलिए इन्हें पेश नहीं किया जा सकता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसलेशन के लिए तीन महीने का वक्त दे दिया। इस केस से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज अरबी, उर्दू, फारसी, पाली और संस्कृत समेत 8 भाषाओं में हैं।

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