
भारत के इतिहास में पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार 2021 की जनगणना में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का डाटा जुटाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जनगणना की प्रक्रिया शुरु करने से पहले समीक्षा बैठक बुलाई जिसमें जनगणना के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर केन्द्र सरकार का ये फैसला अहम माना जा रहा है।
3 साल में जारी होंगे आंकड़े -
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जनगणना 2021 तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी. समीक्षा बैठक में गृह मंत्री ने इसके रोडमैप पर चर्चा की. इस बात पर जोर दिया गया कि डिजाइन और तकनीकी चीजों में सुधार पर जोर दिया जाए ताकि जनगणना करने के तीन साल के भीतर आंकड़ों को अंतिम रूप दे दिया जाए. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल थे। बैठक में राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना की रूपरेखा को सही तरीके से लागू करने का फैसला किया। साथ ही गृह मंत्री ने जनगणना की प्रक्रिया को तेज करने को कहा है। ओबीसी जातियों के आंकड़ों को एकत्रित किया जाएगा।
1931 की जनगणना में एकत्रित किए गए थे जातिगत आंकड़े -
गौरतलब है कि देश में 1931 की जनगणना में आखिरी बार एकत्रित किए गए जातिगत आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई मंडल आयोग की सिफारिशों पर तत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना के लिए तैयारियों की समीक्षा की जिसके बाद ओबीसी आंकड़े एकत्रित करने के फैसले का खुलासा किया गया।
OBC को साधने की कोशिश -
सरकार ने ओबीसी की अलग से जनगणना कराने का फैसला कर साफ कर दिया है कि वह ओबीसी को देश के विकास में भागीदार बनाने के प्रति गंभीर है। 2019 के आम चुनावों के पहले ओबीसी की जनगणना कराने की घोषणा और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देना, राजनीतिक और चुनावी रूप से काफी अहम माना जा रहा है।
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