
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए शांति के नोबेल पुरस्कार को लेकर अपना दर्द बयां किया। उनका कहना है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को शांत करने के बावजूद शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका यह प्रयास अनदेखा किया जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर के लिए अमेरिका की मध्यस्थता को नकार दिया है।
ट्रंप का नोबेल पुरस्कार पाने का सपना
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “भारत और पाकिस्तान की जंग को रुकवाने के बावजूद मुझे शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। मैं जो कुछ भी कर लूं, मुझे नोबेल नहीं मिलेगा।” ट्रंप ने यह टिप्पणी उस समय की, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर में अमेरिका की मध्यस्थता को ठुकरा दिया था।
भारत सरकार का स्पष्ट रुख
भारत सरकार ने कई बार यह साफ किया है कि पाकिस्तान के साथ सीजफायर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना, केवल पड़ोसी मुल्क के आग्रह पर किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ शांति बहाली के मामले में अमेरिका या किसी अन्य देश की भूमिका को नकारा है।
ट्रंप की शांति के प्रयासों पर सवाल
अमेरिका के राष्ट्रपति का दावा है कि उन्होंने दुनियाभर में कई मोर्चों पर संघर्षों को शांत किया है और यही कारण है कि वह शांति का नोबेल पुरस्कार पाने के हकदार हैं। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाने के बावजूद, ट्रंप के लिए यह पुरस्कार प्राप्त करना मुश्किल लगता है, क्योंकि भारत इस मामले में किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं कर रहा है।
अमेरिका का दबाव और भारत का स्पष्ट रुख
भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति के तहत यह सुनिश्चित किया है कि वह अपने मुद्दों पर किसी बाहरी ताकत की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। पाकिस्तान के साथ विवादों में भी यही रुख अपनाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है।
ट्रंप का यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा करता है। भारत की ओर से किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को नकारने के बावजूद ट्रंप का यह बयान उनके लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की इच्छा को व्यक्त करता है। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच आगे क्या रुख अपनाया जाता है।
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