
यूपी के जालौन में 210 फीट ऊंची ‘लंका मीनार’ है। इस मीनार के ऊपर सगे भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते हैं। इसके अंदर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है।
लंका मीनार जहाँ भाई-बहिन एक साथ क्यूँ नहीं जा सकते? आइए जानते है क्या है इसके पिछे की कहानी –
लंका मीनार का निर्माण मथुरा प्रसाद ने कराया था जो की रामलीला में रावण के किरदार को दशकों तक निभाते रहे। रावण का पात्र उनके मन में इस कदर बस गया कि उन्होंने रावण की याद में लंका का निर्माण कराया।
1875 में मथुरा प्रसाद निगम ने रावण की स्मृति में यहां 210 फीट ऊंची मीनार का निर्माण कराया था, जिसे उन्होंने लंका का नाम दिया। सीप, उड़द की दाल, शंख और कौड़ियों से बनी लंका मीनार को बनाने में करीब 20 साल लगे।
उस वक्त इसकी निर्माण लागत 1 लाख 75 हजार रुपए आंकी गई थी। स्वर्गीय मथुरा प्रसाद न केवल रामलीला का आयोजन कराते थे, बल्कि इसमें रावण का किरदार भी वो स्वंय निभाते थे। मंदोदरी की भूमिका घसीटीबाई नामक एक मुस्लिम महिला निभाती थी।
इसमें 100 फीट के कुंभकर्ण और 65 फीट ऊंचे मेघनाथ की प्रतिमाएं लगी हैं। वहीं मीनार के सामने भगवान चित्रगुप्त और भगवान शंकर की मूर्ति है।
मंदिर का निर्माण इस तरह कराया गया है कि रावण अपनी लंका से भगवान शिव के 24 घंटे दर्शन कर सकता है। परिसर में 180 फीट लंबे नाग देवता और 95 फीट लंबी नागिन गेट पर बैठी है। जो कि मीनार की रखवाली करते हैं।
नाग पंचमी पर इस कंपाउंड में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है और दंगल भी लगता है। कुतुबमीनार के बाद लंका मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनारों में शामिल है।
भाई-बहन का एक साथ जाना है निषेध-
लंका मीनार की एक ऐसी भी मान्यता है जिसके अंतर्गत यहां भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते। इसका कारण ये है कि लंका मीनार की नीचे से ऊपर तक की चढ़ाई में सात परिक्रमाएं करनी होती हैं, जो भाई-बहन नहीं कर सकते। ये फेरे केवल पति-पत्नी द्वारा मान्य माने गए हैं। इसीलिए भाई-बहन का एक साथ यहां जाना निषेध है।
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