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मोदी के कहने पर प्रभु का फैसला

भारतीय रेलवे बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारतीय रेल की दशा और दिशा को सुधारने का काम नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु को दिया था। रेल मंत्री प्रभु ने कई ऐसे प्रयोग किए हैं जो पहले कभी नहीं हुए। इनमें कुछ सफल हुए तो कुछ असफल हुए हैं।

मोदी के कहने पर प्रभु का फैसला

भारतीय रेलवे बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारतीय रेल की दशा और दिशा को सुधारने का काम नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु को दिया था। रेल मंत्री प्रभु ने कई ऐसे प्रयोग किए हैं जो पहले कभी नहीं हुए। इनमें कुछ सफल हुए तो कुछ असफल हुए हैं। उन्होंने रेलवे में सुरक्षा और सुविधा बढ़ाने के लिए काफी काम किया है। अब ये खबर आ रही है कि प्रभु रेल किराए को लेकर कोई बड़ा फऐसला करने वाले हैं। इसकी शुरूआत देश की प्रीमियम श्रेणी की ट्रेनों से की जा सकती है। जिनमें राजधानी के साथ साथ शताब्दी का भी नाम आता है। अगर ऐसा होता है तो ये देश की जनता के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी होगी। बता दें कि रेलवे को देश की लाइफलाइन भी कहा जाता है। रोजाना करोड़ों मुसाफिर रेल से सफर करते हैं।

प्रभु के इस फैसले का सबसे पहला प्रयोग शताब्दी ट्रेन में किया जाएगा। शताब्दी सुपरफास्ट ट्रेन में मुसाफिरों को आकर्षित करने के लिए रेल मंत्रालय नई योजना बना रहा है। इसके तहत इस ट्रेन के किराए में कटौती की जा सकती है। रेलवे का मकसद ऐसे मुसाफिरों को टारगेट करना है जो महंगे किराए के कारण इस ट्रेन में सफर नहीं करते हैं। सूत्रों के मुताबिक शताब्दी ट्रेन के शुरुआती स्टेशन और अंतिम स्टेशन के बीच के स्टेशन में मुसाफिरों की संख्या कम होती है.

जानकारी के मुताबिक लोग इन स्टेशनों के बीच सफर करने के लिए शताब्दी की तुलना में एसी बस को तरजीह देते हैं। इसका कारण ये है कि बसों का किराया ट्रेन से कम होता है। अब यात्रियों को आकर्षित करने के लिए रेलवे ने प्लान तैैयार किया है। इसके लिए अजमेर से जयपुर और चेन्नई से बेंगलुरु के दो स्टेशनों के बीच एक प्रयोग किया। इन रूटों पर शताब्दी ट्रेन के किराए को कम किया गया। बताया जा रहा है कि ये प्रयोग सफल रहा है। जिसके बाद अब इसे अमल में लाया जा सकता है।बता दें कि इन दोनों रूटों पर शताब्दी का किराया 470 रुपये है। दूसरी तरफ एसी बसों का किराया 430 रुपये है। इसी को देखते हुए रेलवे ने 30 फीसदी तक किराया कम कर के 350 रुपये करने का फैसला किया। रेलवे का ये फैसला सफल रहा। इस से रेलवे का फायदा 100 फीसदी तक बढ़ गया था। यानि मुसाफिरों को कम किराए में शताब्दी का सफर मंजूर है। इसका एक पहलू ये भी है कि ट्रेन बसों की तुलना में जल्द गंतव्य तक पहुंचा देती है। इसके बाद कहा जा रहा है कि अब शताब्दी ट्रेन का किराया कई रूटों पर कम किया जा सकता है।

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