मोदी सरकार किसानों को खेती के लिए हर सीजन में 4,000 रु. प्रति एकड़ की दर से आर्थिक मदद देगी। यह पैसा सीधे उनके बैंक खातों में भेजा जाएगा। इसके साथ ही सरकार किसानों को 1,00,000 रुपये तक ब्याज मुक्त लोन देगी।
बिजनेस टुडे के मुताबिक इसका ऐलान इसी हफ्ते किया जा सकता है। आगे जानें इससे सरकार का कितना खर्च बढ़ने वाला है। सरकार पर इसका भार सालाना करीब 2.30 लाख करोड़ पड़ेगा। इसमें 70 हजार करोड़ की खाद सब्सिडी समेत अन्य छोटी स्कीमों को भी शामिल किया जा सकता है। तीन राज्यों में मिली हार के बाद मोदी सरकार किसानों को लेकर ज्यादा फ्रिकमंद हो गई है। 2019 में फिर से सत्ता में वापसी के लिए सरकार ने किसानों को बड़ी सौगातें देने का फैसला लिया है।
अपने इस फैसले को अंतिम रूप देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के साथ-साथ नीति आयोग में त्वरित बैठकें बुलाई हैं। माना जा रहा है कि इस फैसले का ऐलान इसी हफ्ते हो जाएगा है। इस कड़ी में राजस्व, व्यय, रसायन और उर्वरक, फूड समेत नोडल मंत्रालयों के अधिकारियों को अनौपचारिक रूप से मीटिंग करने को कहा गया है। इस फैसले के ऐलान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी खुद किसान नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों को फसल के लिए 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सीधे उनके बैंक खातों आर्थिक मदद भेजा जाएगा। ब्याज मुक्त फसल लोन की सीमा को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर एक लाख रुपए तक प्रति किसान कर दिया जाएगा। अभी तक 4% ब्याज दर की सब्सिडी दर पर किसानों को फसल ऋण मिलता था। योजना के तहत, बैंक 1 लाख रुपये तक के ऋण पर कोई ब्याज नहीं लेंगे।
केंद्र ने 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण के लक्ष्य को निर्धारित किया था, जिसे हासिल किया गया था। इसमें से 70% फसल ऋण के रूप में बांटा गया है। कर्जमाफी के हो रहे ऐलानों के बीच कई बैंकों ने किसानों को ऋण देना बंद कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि नई योजना किसानों के लिए रास्ते खोलेगी और उपज को पैदा करने में कम लागत आएगा, लेकिन बढ़ते बैड लोन चिंता का विषय बने हुए हैं। कृषि क्षेत्र में बैंकों के पास लगभग 3 लाख करोड़ का बैड लोन है।
सरकार की ओर से लाई जा रही नई योजना में सीधे किसानों के खाते में आर्थिक मदद भेजा जाएगा। इसके लिए किसानों को कुछ जरूरी डेटा मुहैया कराना होगा जैसे- उपज को बेचने का समय, खरीददार की डिटेल, उसका आधार कार्ड, फसल की मात्रा, जमीन का विवरण अन्य। इन सभी डेटा को फसल की बिक्री के समय इकट्ठा किया जाएगा। केंद्र सरकार की यह योजना तेलंगाना सरकार की योजना से अलग होगी। तेलंगाना में किसानों को फसल के सीजन से पहले ही 4000 रुपए प्रति एकड़ मिल जाते हैं।
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