अब चेक बाउंस होने की स्थिति में भारी-भरकम मुआवजा देना पड़ सकता है। सोमवार को इस मामले से जुड़े विधेयक निगोशिएबल इंश्ट्रूमेंट्स (अमेंडमेंट) बिल को लोकसभा में ध्वनिमत से पास कर दिया गया है। इस बिल का मकसद चेक बाउंस से जुड़े मामलों में तुरंत कार्रवाई और मुआवजे को लेकर कानून बनाना है। अब संसद की तरफ से अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो चेक बाउंस के मामलों में कई चीजें बदल जाएंगी।
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अगर किसी की तरफ से दिया गया चेक बाउंस होता है तो कोर्ट के पास अधिकार होगा कि इस मामले में शिकायतकर्ता को तुरंत प्रभाव से मुआवजा मुहैया कराने के लिए खाता धारक को निर्देश दे। यह मुआवजा जितनी रकम के लिए चेक जारी किया गया था, उसका 20 फीसदी तक हो सकता है। लेकिन चेक जारी करने वाला व्यक्ति अगर कोर्ट से बरी हो जाता है तो कोर्ट शिकायतकर्ता को भी निर्देश दे सकता है कि वह मुआवजे की राशि को ब्याज सहित लौटा दे।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक से चेक बाउंस के मामलों में कमी आएगी और बैंकिंग सिस्टम पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा। उन्होंने सदन को बताया कि मौजूदा समय में देशभर में निचली अदलतों में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमें चल रहे हैं। ऐसे में इस विधेयक के पारित होने से अदालतों पर चेक बाउंस के मुकदमों का बोझ कम होगा।
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