
चंदेरी के एक अजीब सा कस्बे है.. जहां मौजूद हर घर की दीवारों पर लाल स्याही से लिखा है 'ओ स्त्री कल आना।' ये लाल स्याही बनी है चूहों के खून और गाय के मूत्र से.. सुनने में ही डरावना है ना? लेकिन राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर की ये फिल्म आपको सिर्फ डर और भयावह सीन्स के अलावा और भी बहुत कुछ देने वाली है।
पहले फ्रेम से लेकर आखिर तक फिल्म एक गंभीर माहौल बनाकर रखती है, जहां आप खुद को अगले सीन में क्या होगा इसका इंतजार करते हुए पाते हैं। ये फिल्म एक असली वाकये पर आधारित है, स्त्री का हीरो है विकी (राजकुमार राव), एक बेहतरीन दर्जी जो मानता है कि उसकी जिंदगी पर सुई और धागे में बंधी नहीं है। चंदेरी के मनीष मल्होत्रा कहे जाने वाले विकी को अपने कस्टमर का साइज नापने तक की जरूरत नहीं पड़ती।
इसी बीच, कस्बे में एक स्त्री की कहानी फैल जाती है। कहा जाता है कि ये एक चुडैल है जो चार दिन के हिंदू त्योहार में आती है और रात में मर्दों को फंसा कर उनका शिकार करती है और उड़ा ले जाती है, बचते हैं तो सिर्फ उनके कपड़े। वहीं मर्दों के लिए उससे बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि कि अपने घर की दीवारों पर 'ओ स्त्री कल आना' लिखवा लें। वहीं अगर गलती से भी अगर कोई मर्द उसके सामने फंस जाएं तो वो उसका नाम लेगी लेकिन उसे पीछे मुड़कर उसकी तरफ नहीं देखना है, अगर ऐसा किया तो वो गया।
स्त्री आपको डराने और हंसाने के अलावा एक बड़ा मैसेज भी देती है। वो भी फालतू का हल्ला किए बिना और यही फिल्म की सबसे खास बात है।
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