
Ram Mandir Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को दिव्यता और दीर्घकालिक स्थायित्व देने के उद्देश्य से अब यहां टाइटेनियम धातु की खिड़कियां लगाई जाएंगी। मंदिर के भूतल, प्रथम व द्वितीय तल पर इन खिड़कियों का कार्य किया जाएगा, जिसकी नाप-जोख का कार्य जून माह में पूरा कर लिया गया है। जरूरत पड़ने पर कारीगर दोबारा नाप ले सकेंगे।
हैदराबाद के मिधानी संयंत्र में होगा निर्माण
इन खिड़कियों का निर्माण भारत सरकार के अधीन हैदराबाद स्थित "मिश्र धातु निगम लिमिटेड" (मिधानि) में जुलाई माह से शुरू किया जाएगा। मिधानि की कंचनबाग इकाई में देश की रक्षा और सामरिक जरूरतों के लिए विशेष स्टील व मिश्र धातुओं का निर्माण किया जाता है। मंदिर के लिए विशेष रूप से उत्पादित टाइटेनियम से खिड़कियां बनाकर सितंबर के अंत या अक्टूबर में मंदिर में स्थापित की जाएंगी।
बारिश-धूप से नहीं होगा असर, चमक बरकरार
टाइटेनियम धातु को इसकी उच्च टिकाऊ क्षमता और पर्यावरणीय असर से अप्रभावित रहने के कारण चुना गया है। इस पर न तो बारिश का असर होगा और न ही तेज धूप से यह रंग बदलेगा। खिड़कियों की चमक सदैव बनी रहेगी।
44 स्वर्णमंडित कपाटों के बाद शुरू हुआ खिड़कियों का काम
मंदिर के तीनों तलों पर कुल 44 कपाट लगाए गए हैं, जिनमें भूतल के सभी कपाटों को स्वर्णमंडित किया गया है। इन कपाटों की स्थापना के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खिड़कियों के निर्माण की प्रक्रिया को भी गति दी।
इंजीनियरों ने बताया टाइटेनियम का महत्व
मंदिर निर्माण में संलग्न कार्यदायी संस्था के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया कि टाइटेनियम एक कम अभिक्रियाशील धातु है, जो एल्यूमीनियम की तरह एक पतली ऑक्साइड परत बना लेता है। यही परत इसे जंग से बचाती है।
उन्होंने बताया कि इस धातु का घनत्व लोहे से काफी कम होता है, जिसके कारण इसका उपयोग एयरोस्पेस, कृत्रिम अंग और रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है। खिड़कियों को इसी धातु से बनाने का मुख्य उद्देश्य उन्हें लंबे समय तक टिकाऊ और सुरक्षित बनाए रखना है।
भविष्य के लिए तैयार हो रहा है भव्य राम मंदिर
राम मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह वास्तु और विज्ञान का भी बेहतरीन उदाहरण बन रहा है। टाइटेनियम जैसी उच्च तकनीकी सामग्रियों का प्रयोग कर इसे सदियों तक सुरक्षित रखने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
टाइटेनियम की खिड़कियां राम मंदिर को एक नई तकनीकी मजबूती देने जा रही हैं, जो इसे प्राकृतिक प्रभावों से संरक्षित रखने में सहायक होंगी। सितंबर-अक्टूबर तक इनका इंस्टॉलेशन मंदिर परिसर में शुरू हो जाएगा।
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