डायरेक्टर - जेम्स अर्स्किन
प्रोड्यूसर - रवि भागचंदका, कार्निवल मोशनल पिक्चर
लेखक - जेम्स अर्स्किन
शानदार पॉइंट - डायरेक्शन, एडिटिंग, रेयर फुटेज
निगेटिव पॉइंट - जिन्होंने टी20 और आईपीएल की भीड़ और दर्शकों को देखा है वो शायद उस खतरनाक भीड़ की भावनाओं को उतना नहीं समझ पाएंगे जितना सचिन को खेलते देखने वाले समझेंगे।
शानदार मोमेंट -जब भी आप सचिन...सचिन..थियेटर में सुनेंगे आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
"मेरे बाबा हमेशा मुझसे कहते थे कि तुम्हे जिंदगी में क्रिकेट को छूना है, ये एक बात है..लेकिन आखिर तक जो बात तुम्हारे साथ रहेगी..वो कि तुम इंसान कैसे हो।" सचिन तेंदुकर अपने पिता की दी हुई इस सलाह को अपनी आवाज में बताते हैं। आपको एहसास होगा कि सचिन तेंदुलकर अपने पिता के एक एक शब्दों पर खरे उतरे और इसलिए वो इतने लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सके। फिल्म की शुरूआत एक बच्चे से होती है (सचिन तेंदुलकर) से जो बहुत ही नटखट है और अपने दोस्तों को परेशान करने, उन्हें छिपे हुए गड्ढे में गिरा देने और टायर पंक्चर कर देने में मजा आता है। ये हैं कम उम्र के सचिन तेंदुलकर।
कुछ ही पलों के बाद आप इमोशनल हो जाएंगे जब देखेंगे कि 1983 विश्व कप के बाद सचिन की एक की एक कश्मीर की बहन उन्हें बैट गिफ्ट करती है और सचिन का सपना उनकी आखों में नजर आता है। सचिन ए बिलियन ड्रीम्स, एक मिडिल क्लास लड़के की बार बार कोशिश, क्लेश, आशा, इच्छाशक्ति की कहानी है। कैसे उनके पैरेंट्स, भाई अजित तेंदुलकर, कोच रमाकांत आचरेकर और उनकी पत्नी अंजली का उन्हें क्रिकेट का भगवान बनाने में बड़ा योगदान रहा।
इसमें आपको सचिन और अंजली की लव स्टोरी भी देखने मिलेगी जो किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। सचिन याद करते हैं कि कैसे उन्होंने तब अपनी गर्लफ्रेंड अंजली से कहा था कि वो पैरेंट्स से शादी की बात करें। स्पिन के महारथी शेन वार्न से मैदान पर भिड़ंत से लेकर नाक से खून बहते रहने के बावजूद वो मैदान पर डटे रहे। यूनुस खान का बाउंसर कोई कैसे भूल सकता है जिसके बाद की कहानी बदल गई थी। जब लोग आपके ऊपर पत्थर फेंके तो आप उन पत्थरों को मील का पत्थर बना दीजिए..सचिन ने अपने बुरे समय में भी यही किया है। फिल्म के अंत में जब आप वानखेड़े स्टेडियम में सचिन के रिटायर के बाद दिया गया भाषण सुनेंगे तो आखों में आंसु लाने से शायद रोक नहीं पाएंगे।
सचिन ए बिलियन ड्रीम्स एक डॉक्यूमेंट ड्रामा है लेकिन जेम्स अर्स्किन का शानदार डायरेक्शन है जिन्होंने फिल्म में एक सेकंड के लिए भी पकड़ कमजोर नहीं होने दी। उन्होंने भारत में क्रिकेट के प्रति जुनून को सचिन तेंदुलकर के सफर और मैदान में लगातार नए रिकॉर्ड बनाते और तोड़ते से जोड़कर दिखाया है।
एक जगह सचिन तेंदुलकर के बड़े भाई अजित तेंदुलकर उन्हें कोच रमाकांच आचरेकर के पास ले जाते हैं जो सचिन के अंदर के टैलेंट को पहचानते हैं। मैदान पर जब सचिन पहली बॉल का सामना करते हैं तो स्टंप उखड़ जाता है। कोच रमाकांच आचरेकर झेल जाते हैं और अजित तेंदुलकर उन्हें समझाते हैं कि वो जल्द ही इसे समझ लेंगे। अगला ही बॉल सीधे स्ट्रेट ड्राइव होता है जो आगे जाकर सचिन का सिग्नेचर मूव बन जाता है। आचरेकर खुश होकर अजित से पूछते हैं कि नाम क्या बताया तु्म्हारे भाई का? Cut to..आप कमेंटेटर टॉनी ग्रिग की चिर परिचित आवाज सुनेंगे..यही अवधेश मोहला की एडिटिंग का कमाल है। फिल्म के मेकर्स ने इसमें रियल विजुअल का इस्तेमाल किया है और खासकर उनकी निजी जिंदगी के वीडियोज इसमें चार चांद लगा देते हैं
ए आर रहमान का म्यूजिक फिल्म के साथ इतना सटीक बैठता है कि जितनी तारीफ की जाए कम होगी। सारे गाने नैरेटिव का हिस्सा है।
चाहे आप सचिन तेंदुलकर के फैन हो या नहीं लेकिन पूरी फिल्म में आप चियर और हूटिंग ही करेंगे तो साथ ही कई जगहों पर इमोशनल भी हो जाएंगे। आप महसूस करेंगे कि कैसे एक मुंबई का लड़का दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेटर बन गया जिसकी तारीफ करते हुए खुद सर डॉन ब्रैडमेन ने कहा था कि "मैं सचिन को बैटिंग करते देखता हूं तो उसमें मैं खुद को देखता हूं।"एक लाइन में बोलें तो ये फिल्म आपको सचिन के दौर की याद दिला देगी और आपको उनसे एक बार फिर प्यार हो जाएगा।
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