कंपनी में बड़ी नौकरी के लिये लिखित परीक्षा में पास लोगों का साक्षात्कार था। सैकड़ों लोगों में से सिर्फ दो व्यक्ति पास हुए थे और रिक्त पद एक-अभ्यार्थी दो क्या किया जाये? कंपनी प्रबंधन ने सोचा कि अंतिम चयन के पहले अभ्यर्थियों की और परीक्षा ली जाए। दोनों को बुलाया गया। कंपनी प्रबंधन ने दोनों को अलग-अलग कमरों में रहने की व्यवस्था की। उनका साक्षात्कार हुआ, जांचा गया, परखा गया, पर दोनों एक से बढक़र एक निकले। कंपनी प्रबंधन मुश्किल में था किसे चुने, कौन श्रेष्ठ है? प्रबंधन को एक उपाय सूझा और उसने उस पर अमल किया।
अगले दिन प्रबंधन दोनों अभ्यर्थियों को स्टेशन छोडऩे गया। पहले अभ्यर्थी ने मिलते ही प्रबंधक को एक बंद लिफाफा देते हुए कहा, सर शायद आप यह मेरे कमरे में भूल गये थे, इस पर प्रबंधन ने पूछा कि इसमें क्या है? सर मुझे नहीं मालूम यह पैकेट मेरा नहीं है। सर यदि यह पैकेट आपका भी नहीं है तो मेरे कमरे में किसी का होगा जो उसे भूल गया होगा, वही इसका अधिकारी है। कंपनी प्रबंधक ने हां में सिर हिलाया। इतने में दूसरा अभ्यर्थी भी आ गया। कंपनी प्रबंधक ने दोनों को कार में बैठाकर स्टेशन छोड़ा। दोनों अभ्यार्थी कंपनी प्रबंधक से हाथ मिलाकर जाने लगे तथा प्रबंधक ने दूसरे अभ्यर्थी से कहा देखिए, कल मैं आपके कमरे में एक पैकट भूल गया था जिसमें 10,000 रुपये थे, कृपया वह मुझे लौटा दें। कंपनी प्रबंधक के मुंह से जैसे ही यह बात निकली दूसरे अभ्यार्थी का चेहरा फक पड़ गया और उसने पैकेट लौटा दिया। पहला अभ्यर्थी इस घटना से काफी घबराया हुआ था तभी प्रबंधक ने पहले अभ्यार्थी के हाथ में नियुक्ति पत्र देकर साथ में वे 20,000 रुपये के पैकेट देते हुए कहा कि आप ईमानदार हैं और इस नौकरी के आप ही सच्चे अधिकारी हैं और यह छोटी सी रकम कंपनी की ओर से आपकी ईमानदारी का छोटा सा तोहफा है।
यह सच है कि बेईमान भी अपना साथी ईमानदार चाहता है। कारण स्पष्ट है कि ईमानदारी के बिना संसार उलझ जायेगा। इसलिए ईमानदारी को अपनायें और अपने लक्ष्य की ओर बिना किसी भय के बेहिचक बढ़ते जायें आपको कोई नहीं रोक पायेगा।
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