होम मुस्लिम महिला का PM मोदी को पत्र - तीन तलाक के बाद महिलाओं का खतना भी हो बंद

मुद्दा

मुस्लिम महिला का PM मोदी को पत्र - तीन तलाक के बाद महिलाओं का खतना भी हो बंद

भारतीय इतिहास में 22 अगस्त 2017 का दिन एक ऐतिहासिक रूप में जाना जाएगा क्योकि सुप्रीम कोर्ट ने आज के दिन मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की 1400 साल पुरानी प्रथा खत्म करते हुए इसे पवित्र कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ और इससे इस्लामिक शरिया कानून का उल्लंघन करार दिया।

मुस्लिम महिला का PM मोदी को पत्र - तीन तलाक के बाद महिलाओं का खतना भी हो बंद

भारतीय इतिहास में 22 अगस्त 2017 का दिन एक ऐतिहासिक रूप में जाना जाएगा क्योकि सुप्रीम कोर्ट ने आज के दिन मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक की 1400 साल पुरानी प्रथा खत्म करते हुए इसे पवित्र कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ और इससे इस्लामिक शरिया कानून का उल्लंघन करार दिया। वहीं इस मुद्दे पर फैसला आने के बाद अब मुस्लिम महिलाओं ने खतने को लेकर भी आवाज उठाई है।

महिलाओं में ख़तना एक ऐसी प्रथा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य महिलाओं की यौन आजादी पर पाबंदी लगाना है। महिलाओं में जननांग विकृति से हर साल बहुत सी महिलाओं और बच्चियों की मौत हो जाती है। जो लड़कियां बच भी जाती हैं, इस प्रथा से जुड़ी दर्दनाक यादें उम्र भर उनके साथ बनी रहती है। ख़तना से न सिर्फ़ महिलाओं को मानसिक क्षति पहुंचती है, बल्कि उनको शारीरिक नुकसान भी होता है। विश्व के कई समुदायों में इस प्रथा का पालन किया जाता है।

इस कुप्रथा को रोकने के लिए एक महिला सालों से संघर्ष करती आ रही है। बोहरा समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने देश के PM मोदी के नाम एक खुला ख़त लिखकर इस कुप्रथा को रोकने की मांग की है। उन्होंने खत में लिखा है कि आजादी वाले दिन आपने जब मुस्लिम महिलाओं के दर्द और दुखों का जिक्र लालकिले के प्राचीर से किया था, तो उसे देख-सुनकर काफी अच्छा लगा था। हम मुस्लिम औरतों को तब तक पूरी आजादी नहीं मिल सकती जब तक हमारा बलात्कार होता रहेगा, हमें संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा। तीन तलाक एक गुनाह है लेकिन इस देश की औरतों की सिर्फ़ यही एक समस्या नहीं है। मैं आपको औरतों के साथ होने वाले खतने के बारे में बताना चाहती हूं, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है।

मासूमा ने लिखा है कि मैं बताती हूं कि मेरे समुदाय में आज भी छोटी बच्चियों के साथ क्या होता है। जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, उसकी मां या दादीमां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं। बच्ची को ये नहीं बताया जाता कि उसे कहां ले जाया जा रहा है या उसके साथ क्या होने वाला है। दाई या आया या वो डॉक्टर उसके भगशेफ (Clitoris) को काट देते हैं। इस प्रथा का दर्द ताउम्र के लिए उस बच्ची के साथ रह जाता है। इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, बच्ची या महिला के यौन इच्छाओं को दबाना।

नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Most Popular

(Last 14 days)

Facebook

To Top