भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी का आज जन्मदिन है। 5 जनवरी 1941 को भोपाल के नवाब खानदान में पैदा हुए मंसूर अली खान अगर आज जिंदा होते तो अपना 77वां जन्मदिन मना रहे होते।
मंसूर अली खान पटौदी भारत के उन चंद क्रिकेटरों में से एक थे जिनके मैदान पर आते ही विपक्षी टीम के पसीने छूटने शुरू हो जाते थे। उन्हें भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में गिना जाता है।
क्रिकेट के मैदान पर 'टाइगर' कहे जाने वाले मंसूर अली खान पटौदी की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं। हादसे में एक आंख की रोशनी खो जाना, नवाबों वाली शान-शौकत के साथ जिंदगी जीना और अपने दौर की मशहूर अदाकार शर्मिला टैगोर से इश्क लड़ाने के लिए भी वे काफी चर्चित हुए।
पटौदी के एक शानदार और आक्रामक बल्लेबाज होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक आंख(बाईं) से दिखाई देने के बावजूद वह मैदान पर चौके-छक्कों की बरसात कर देते थे। बेहद कम उम्र में ही उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी।
पटौदी ने माना था कि दिल्ली में हुई पहली मुलाकात में ही वो शर्मिला को अपना दिल दे बैठे थे। शर्मिला के दिल में मोहब्बत का बीच बोने के बावजूद उनकी आगे की राह कांटों से भरी थी.क्योंकि दोनों के धर्म अलग थे।
लेकिन मोहब्बत तो मोहब्बत होती है जनाब भले चाहे इसके लिए कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। तमाम दीवानों की तरह शर्मिला को भी पटौदी के लिए कुर्बानी देनी पड़ी। पटौदी से शादी करने के लिए उन्हें अपना धर्म बदलना पड़ा था और साल 1969 में दोनों एक दूजे के हो गये।
पटौदी ने अपनी शर्तों पर जीवन जिया. उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया लेकिन यहां वह असफल रहे। उन्होंने कांग्रेस की तरफ से भोपाल से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
अपनी एक आंख गवांने वाले पटौदी इस बात से बखूबी वाकिफ थे कि आंख न होने की वजह से व्यक्ति को किन हालातों से गुजरना पड़ता है। शायद इसी वजह से उन्होंने दुनिया से विदा लेते समय अपनी आंख दान करने का फैसला किया. 22 सितंबर 2011 ही वो दिन था जब टाइगर पटौदी ने फेफड़ों में संक्रमण की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
पटौदी के बारे में कुछ रोचक बातें :-
- महज 21 साल में वह भारतीय टीम के कप्तान बन गए थे।
- मैदान पर केवल आक्रामक शैली में खेलना उनकी पहचान थी।
- प्यार से लोग उन्हे टाइगर पटौदी कहकर बुलाते थे।
- उनकी अगुवाई में टीम इंडिया ने 1967 में न्यूजीलैंड को टेस्ट सीरीज में उसी की धरती पर हराया था। साल 1961 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था।
- टेस्ट डेब्यू से महज 6 माह पहले उनकी आंख एक हादसे की वजह से खराब हो गई थी, लेकिन उनके हौंसले बुलद थे जिसकी वजह से उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया।
- उन्होंने कुल मिलाकर 46 टेस्ट मैच खेले और 6 शतकों की मदद से कुल मिलाकर 2,793 रन बनाए।
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