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गुजरात में हर 4 में से 1 मुसलमान ने दिया BJP को वोट

गुजरात में लगातार 22 साल से सत्ता पर काबिज रही BJP पर वहां की जनता ने एक बार फिर से विश्वास की मोहर लगा ही है।

गुजरात में हर 4 में से 1 मुसलमान ने दिया BJP को वोट


गुजरात में लगातार 22 साल से सत्ता पर काबिज रही BJP पर वहां की जनता ने एक बार फिर से विश्वास की मोहर लगा ही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जिस तरह का जनादेश मिला इससे एक बात तो साफ हो गई कि गुजरात की आवाम पर अभी भी BJP का जलवा कायम है। हालांकि साल 2012 के मुकाबले इस बार के चुनाव में पार्टी को कुछ कम सीटें जरूर मिली हैं। इसके बावजूद BJP को इस बात की खुशी जरूर होगी कि पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। साल 2012 के मुकाबले BJP के वोट शेयर में करीब एक प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं इस बार के चुनाव में BJP के लिए एक और फैक्टर सुकून देने वाला रहा और वो है मुस्लिम वोट बैंक का BJP पर भरोसा। आखिर वो क्या वजहें रही जिसकी वजह से BJP के समर्थन में गुजरात के मुस्लिम मतदाता आगे आए, पढ़िए ये विशेष खबर -

मुस्लिम वोटरों ने यूं बदले सियासी समीकरण-

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मुस्लिम वोटर BJP से खुद की सीधे तौर पर नहीं जुड़ पाते हैं, हालांकि 2017 के गुजरात चुनाव में ये बेहद चौंकाने वाला समीकरण रहा। वोट शेयर देखें तो इस बार के चुनाव में हर चार में से एक मुस्लिम वोटर ने BJP के पक्ष वोट किया। जिसकी वजह से बीजेपी की जीत थोड़ी और आसान हुई। दूसरे शब्दों में कहें तो मुस्लिम वोटरों के इस रवैये का खामियाजा कांग्रेस को चुकाना पड़ा। कांग्रेस के 80 सीटों पर रुकने में इस फैक्टर की अहम भूमिका रही।

BJP को मिला मुस्लिम वोटरों का समर्थन-

2017 के मुकाबले 2012 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस समय कांग्रेस ने दलित, आदिवासी और मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कवायद की थी। इनके साथ-साथ क्षत्रिय और कोली वोटरों को भी अपने पक्ष में करने की कवायद कांग्रेस की ओर से हुई बावजूद इसके उनकी रणनीति कामयाब नहीं हुई थी। पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे हालात में इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए सॉफ्ट हिंदुत्व को आधार बनाया। यही वजह है कि राहुल गांधी इस बार मंदिरों में गए, इतना ही नहीं मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस की ओर से कोई विशेष कोशिश नहीं की गई। इसका असर इस बार के चुनाव नतीजों पर नजर पड़ा। मुस्लिम वोटरों का झुकाव BJP की ओर आ गया।

राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि का असर -

इस बार के आंकड़ों में ऐसा देखा गया है कि BJP की ओर से मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोई कवायद नहीं हुई। जिससे मुस्लिमों का वोट प्रतिशत BJP की ओर बढ़ा है। कांग्रेस की ओर से मुस्लिम वोटरों को लेकर कोई कदम नहीं उठाना भी उनके लिए घाटे का सौदा बना और मुस्लिम वोटरों ने BJP के साथ जाना ठीक समझा। कांग्रेस की इसी सियासी चूक का फायदा BJP को मिल गया।

वोट शेयर में BJP ने कांग्रेस से मारी बाजी-

कांग्रेस के रणनीतिकारों का गणित इसलिए भी फेल रहा क्योंकि हार्दिक पटेल का फैक्टर उस तरह से उनके काम नहीं आया जैसा कि उन्हें उम्मीद थी। पाटीदार वोटरों में बिखराव इस चुनाव में दिखाई दिया, वहीं कांग्रेस पर भरोसा जताने वाले मुस्लिम वोटरों के अलावा दलित और अनुसूचित जनजाति के वोटरों का भी उन्हें साथ नहीं मिला। हालांकि कांग्रेस के लिए एक बात इस चुनाव में नजर आई और वो है गरीबों के मुकाबले व्यापारिक समुदाय ने कांग्रेस पर थोड़ा भरोसा जताया है वहीं मध्यम आय वर्ग ने भी कांग्रेस का समर्थन किया।

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