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पाखंडी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के एक और सेक्‍स आश्रम का खुलासा, 72 लड़कियां मिलीं

दिल्‍ली में अय्याशी का आश्रम चलाने वाले पाखंडी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का एक ऐसा ही सेक्‍स आश्रम राजस्‍थान में भी चल रहा था।

पाखंडी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के एक और सेक्‍स आश्रम का खुलासा, 72 लड़कियां मिलीं

दिल्‍ली में अय्याशी का आश्रम चलाने वाले पाखंडी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का एक ऐसा ही सेक्‍स आश्रम राजस्‍थान में भी चल रहा था। यहां के सिरोही जिले के आबूरोड शहर में पुलिस ने बाबा के आध्यात्मिक विश्व विद्यालय के भवन पर रविवार को छापा मारकर 72 लड़कियों को आजाद कराया। जानकारी के मुताबिक यह आध्यात्मिक विश्व विद्यालय वीरेन्द्र देव दीक्षित चलाता है। पुलिसकर्मी जब सूचना के आधार पर भवन में गए तो वहां के केयरटेकर ने परिसर में उन्हें घुसने नहीं दिया। बाद में महिला पुलिसकर्मियों को वहां पर भेजा गया, जिन्होंने बड़ी संख्या में बिल्डिंग में रह रहीं लड़कियों को पाया। लड़कियां कथित तौर पर बंधक के तौर पर रह रहीं थीं।

आजाद कराए जाने के बाद लड़कियों ने कहा आश्रम से बाहर निकालने के बाद लड़कियों ने पुलिस से कहा कि वो यहां पर अपनी मर्जी से रह रही है और उन्हें यहां पर किसी तर​ह की कोई तकलीफ नहीं है। पुलिस ने संचालकों को दस्तावेज पेश करने के लिए दो दिन का समय दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले भी बाल कल्याण समिति और सिरोही पुलिस ने माउंटआबू में भी एक आश्रम पर दबिश दी थी जहां से 58 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया गया था।

आपको बता दे कि दिल्‍ली के रोहिणी में जब बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित आश्रम में अपने आप को भगवान कृष्ण कहता था। वो लड़कियों से कहता था कि वो उसकी 16,000 रानियां हैं। बाबा 16000 लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्‍छा रखता था। इतना ही नहीं आश्रम में वो नाबालिग लड़कियों से मालिश भी करवाता था। इसके अलावा लड़कियों को छांटकर बाबा के वीवीआईपी आश्रम में लाया जाता था। आश्रम में काम करने वालों में 10 साल की लड़कियों से लेकर 50 साल से अधिक उम्र की औरतें थीं। 10 साल से 28 साल तक की उम्र वाली लड़की बाबा के लिए थी। बाबा आश्रम की तीसरी मंजिल पर रहता था और उस मंजिल पर 28 साल से अधिक उम्र की लड़की का जाना प्रतिबंधित था। 28 साल से 40 साल तक की उम्र वाली लड़की या महिला आश्रम की चौथी मंजिल पर रहती थी। जिसके जिम्मे कपड़े-बर्तन धोने से लेकर साफ-सफाई और खाना बनाने का काम था। 40 साल से अधिक उम्र की महिलाएं मुख्य आश्रम में रहती थीं, जिनके जिम्मे काम शिक्षा देना था।

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