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विदेश मंत्रालय के कर्मचारी ने नौकरी छोड़ शुरू किया गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षण संस्थान

पढ़िए किस तरह एक विदेश मंत्रालय के कर्मचारी ने नौकरी छोड़ शुरू किया गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षण संस्थान

विदेश मंत्रालय के कर्मचारी ने नौकरी छोड़ शुरू किया गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षण संस्थान

समस्तीपुर(बिहार).  शिक्षा के बाजारीकरण के इस दौर में भी एक शिक्षण संस्थान गरीब और बेसहारा बच्चों का सहारा बना हुआ है बशर्तें बच्चे पढ़ने को तैयार हों. पढ़िए अपने आप में मिसाल बन चुके इस शिक्षण संस्थान की पूरी कहानी.

बिहार के रोसड़ा(समस्तीपुर) में चल रहा है यह अनूठा शिक्षण संस्थान. जो बच्चे पढ़ने को तैयार हैं तो गरीबी भी उनका रास्ता नहीं रोक सकती. पढ़ाई में मन लगाने वाले ऐसे बच्चों को यह शिक्षण संस्थान बखूबी तराश रहा है.
रोसड़ा में सात साल पहले एक झोपड़ी में शुरू हुआ था शिक्षण संस्थान "बीएसएस क्लब" के द्वारा नि:शुल्क कोचिंग.राजेश कुमार सुमन ने मुंबई से अपना विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़कर अन्य युवाओं श्याम ठाकुरअशोक कुमारजितेन्द्र यादव के साथ मिलकर इसकी नींव रखी थी. यह संस्थान आम शिक्षण संस्थान की तरह ही दिखता है।हर अच्छे शिक्षण संस्थान की तरह यहां भी बच्चों की बेहतर शिक्षा के सभी साधन मौजूद हैं लेकिन इस शिक्षण संस्थान में दाखिला लेने वाले बच्चों का बचपन एकदम अलग तरह का है. कोई मजदूर का बच्चा है तो कोई सड़क पर कूड़ा बीनते हुए इस शिक्षण संस्थान तक पहुंच गया.सात साल पहले चार बच्चों के साथ शुरू किए गए इस शिक्षण संस्थान में अब तीन सौ बच्चे अपना भविष्य संवार रहे हैं।गरीब बच्चों को शिक्षा देने की यह मुहिम रंग लाई है कि इस संस्थान से पढ़कर निकले कई होनहार एसएससीरेलवेंबिहार पुलिसशिक्षक व अन्य क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों में भी परचम लहराया हैं. संस्थान के संस्थापक सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं.बच्चों की मदद करने वाले इस संस्थान को भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं समेत आम लोगों की भी मदद मिलने लगी।

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