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कानपुर मेट्रो रेल को हरी झंडी

रिष्ठ नागरिक नीति के तहत जिला मुख्यालयों में वृद्धाश्रम बनेंगे। तहसील स्तर पर वृद्धों की मदद के लिए ट्रिब्यूनल होंगे और थानों में सीनियर सिटिजन रजिस्टर के साथ ही वृद्ध की मदद के लिए बीट कांस्टेबलों की ड्यूटी लगाने की व्यवस्था होगी। बेटा या संपत्ति की मालिक बेटी या अन्य व्यक्ति बुजुर्ग को घ

कानपुर मेट्रो रेल को हरी झंडी

 मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। जिसमें कानपुर के लिए दिखाई गई मेट्रो रेल को हरी झंडी मुख्य है। बैठक में कानपुर मेट्रो के डीपीआर को मंजूरी प्रदान की है। अब इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।

 

कानपुर मेट्रो रेल परियोजना की तकरीबन 17 हजार करोड़ रुपये की डीपीआर को मंजूरी मिली है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने सीमेंट पर एक फीसद टैक्स बढ़ाने का फैसला भी किया है। सूबे में बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश राज्य वरिष्ठ नागरिक नीति लागू की गई है। सीमेंट पर वर्तमान में 12.50 फीसद वैट के साथ ही तीन फीसद अतिरिक्त कर है जिसे बढ़ाकर चार फीसद करने का प्रस्ताव है। इससे तीन से पांच रुपये तक सीमेंट की बोरी महंगी हो जाएगी। इससे सरकार को सालाना कमाई में 100 करोड़ के इजाफे का अनुमान है। सीमेंट पर टैक्स बढ़ाने के साथ ही सरकार सीमेंट के लिए लागू ट्रांसपोर्ट मेमो (फार्म-21) की व्यवस्था भी खत्म कर दी है।

 

वरिष्ठ नागरिकों का रखा ख्याल वरिष्ठ नागरिक नीति के तहत जिला मुख्यालयों में वृद्धाश्रम बनेंगे। तहसील स्तर पर वृद्धों की मदद के लिए ट्रिब्यूनल होंगे और थानों में सीनियर सिटिजन रजिस्टर के साथ ही वृद्ध की मदद के लिए बीट कांस्टेबलों की ड्यूटी लगाने की व्यवस्था होगी। बेटा या संपत्ति की मालिक बेटी या अन्य व्यक्ति बुजुर्ग को घर से निकालते हैं तो ट्रिब्यूनल उसे तीन साल की सजा सुना सकता है और हर माह दस हजार रुपये वृद्ध को देने को बाध्य कर सकता है। बिल्डर समाधान योजना को मंजूरीबिल्डरों से टैक्स वसूलने के लिए बिल्डर समाधान योजना को भी बैठक में मंजूरी मिली है। दिल्ली की तर्ज पर वाणिज्य कर महकमे की प्रस्तावित इस योजना के तहत बुकिंग कर भवन व फ्लैट बेचने वाले बिल्डरों को कुल लागत का तीन फीसद तक टैक्स देना होगा।सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य सरकार के प्रति शौचालय चार हजार रुपये देने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद को भू-अर्जन की मौजूदा जटिल प्रक्रिया से निजात देने के लिए  भू-स्वामियों से सीधे जमीन खरीदने का अधिकार देने संबंधी प्रस्ताव को भी बैठक में हरी झंडी मिली। प्रस्ताव के मुताबिक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के किसी आवासीय योजना के लिए तय दर पर प्राधिकरण-परिषद सीधे भू-स्वामी से आपसी सहमति पर जमीन खरीद सकेंगे।

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