इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश में चल रही टीचर भर्ती प्रक्रिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह भर्ती प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के तौर पर 12460 पद पर की जा रही थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अंकों के जोड़ का नया मानक तैयार होने तक कोई चयन न किया जाये। अब बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार को नये सिरे से चयन किये जाने का आदेश दिया गया है ।
यूपी में चल रही 12460 सहायक टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया के स्थगित होने के पीछे अभ्यार्थियों का सही ढंग से पात्रता हासिल न कर पाना है। दरअसल चयन प्रक्रिया में बीटीसी 2012 और 2013 के अभ्यर्थियों का क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स की गणना अलग अलग की जा रही थी। यानी की एक ही कोर्स किये जाने के बावजूद उन्हे क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स का एक समान लाभ नहीं मिल रहा था और यह सब विभाग की भर्ती प्रक्रिया में लागू नयी गाइड लाइन के चक्कर में हो रहा था। इसी बावत 2012 बैच के अभ्यर्थी ज्ञानचन्द्र व अन्य ने याचिका दाखिल की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पर न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय ने सुनवाई की। तो उनके समझ गाइड लाइन का जिक्र किया गया। दरअसल 20 दिसंबर 2016 को 12460 पदों पर सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने गाइडलाइन जारी की गई । जिसमें 2012 में प्रथम श्रेणी (60 प्रतिशत) वालों को 12 अंक। द्वितीय श्रेणी (59 से 48) प्रतिशत को 6 अंक । तृतीय श्रेणी (47 से 33 प्रतिशत) वालो को 3 अंक का क्वालिटी प्वाइंट देने का प्रावधान तय हुआ। लेकिन 2013 का बैच जब आया तो नियम बदल गया। दरअसल 2013 में प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी के बजाए ग्रेडिंग सिस्टम लागू किया गया। जिसके चलते ग्रेड `ए` (80 प्रतिशत) । ग्रेड `बी` (79 से 65 प्रतिशत) । ग्रेड `सी` 65 से 50 प्रतिशत का नियम बना। परन्तु समस्या तब उत्पन्न हुई जब इन्हे क्वालिटी प्वाइंट देना हुआ। क्योकि ग्रेड `बी` के लोगों को 12 प्वाइंट दे दिये गये। इससे 2012 बैच के अभ्यर्थियों को सीधे सीधे झटका लग रहा था।
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