
नई दिल्ली। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है। ओवैसी ने संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी भाजपा-एनडीए को हराने के लिए महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि यह फैसला महागठबंधन के नेताओं पर निर्भर करता है।
"हम नहीं चाहते कि बिहार में भाजपा जीते" – ओवैसी
ओवैसी ने कहा, "हम नहीं चाहते कि बिहार में बीजेपी-एनडीए चुनाव जीते। जो राजनीतिक दल इस खतरे पर चुप हैं और सत्ता में आने की ख्वाहिश रखते हैं, उन्हें अब जाग जाना चाहिए। मरने के बाद रोना बेकार है।" उन्होंने आगे कहा कि पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी और सीमांचल के बाहर भी अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना चुकी है। अभी तक दो विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं।
महागठबंधन से बातचीत की कोशिश जारी
महागठबंधन में शामिल होने को लेकर ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी ने यह भी बताया कि उन्होंने खुद पांच साल पहले संसद में महागठबंधन के दो सांसदों से इस विषय में बात की थी। "यह पूरी तरह उन पर निर्भर करता है कि वे क्या फैसला लेते हैं। हम बीजेपी को हराना चाहते हैं, लेकिन एकतरफा प्रयास से यह नहीं हो सकता," ओवैसी ने कहा।
वोटर लिस्ट विवाद पर भी मुखर
बिहार में मतदाता सूची की दोबारा जांच के खिलाफ ओवैसी ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कानूनी रूप से संदिग्ध है और इससे कई असली मतदाता बाहर हो सकते हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह "बैकडोर से एनआरसी" लागू करने जैसा है।
दस्तावेजों की मांग पर उठाए सवाल
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए अब नागरिकों से जन्म प्रमाण और माता-पिता के जन्म स्थान जैसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। जबकि देश में सिर्फ तीन-चौथाई जन्म ही रजिस्टर्ड होते हैं, और सरकारी रिकॉर्ड अक्सर गलतियों से भरे होते हैं।"
बिहार में भाजपा को हराने के लिए ओवैसी की पार्टी का रुख सहयोगात्मक है, लेकिन अंतिम निर्णय महागठबंधन पर छोड़ा गया है। वहीं, वोटर लिस्ट को लेकर उनके आरोपों ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में AIMIM और इंडिया ब्लॉक के बीच तालमेल की स्थिति स्पष्ट हो सकती है, जो बिहार चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
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