
नई दिल्ली। प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) की एक ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2010 से 2020 के दशक में वैश्विक मुस्लिम जनसंख्या में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान मुस्लिम आबादी 34.7 करोड़ बढ़कर दो अरब के आंकड़े को पार कर गई, जो अब दुनिया की कुल आबादी का 25.6% हिस्सा है। यह बढ़ोतरी न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि वैश्विक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संतुलन पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।
ईसाई, हिंदू और अन्य धर्मों की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि में ईसाई जनसंख्या 12.2 करोड़ बढ़कर 2.3 अरब हो गई, जबकि हिंदू जनसंख्या में 12.6 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 1.2 अरब तक पहुंच गई। हालांकि, वैश्विक आबादी में हिंदुओं का प्रतिशत 14.9% पर स्थिर रहा।
मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि के पीछे के कारण
प्यू रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम जनसंख्या में तेज़ बढ़ोतरी के पीछे मुख्य रूप से जनसांख्यिकीय कारण हैं:
- मुस्लिम महिलाओं की औसतन जन्म दर 2.9 है, जबकि गैर-मुस्लिम महिलाओं की दर 2.2 है।
- मुस्लिम आबादी की औसत आयु 24 वर्ष है, जबकि गैर-मुस्लिमों की 33 वर्ष।
- मुस्लिम समुदाय में युवा आबादी का अनुपात अधिक है।
इस तरह की संरचना भविष्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में नई चुनौतियां और अवसर लेकर आ सकती है।
वैश्विक स्तर पर मुसलमानों का वितरण
2020 के आंकड़ों के अनुसार:
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र: 1.2 अरब मुसलमान (दुनिया में सबसे अधिक)
- मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका: 414 मिलियन
- उप-सहारा अफ्रीका: 369 मिलियन
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस्लाम की उत्पत्ति मध्य पूर्व में हुई थी, लेकिन अब वहां केवल लगभग 20% मुस्लिम आबादी रहती है। सबसे अधिक मुसलमान एशिया में हैं — भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और बांग्लादेश इसके प्रमुख केंद्र हैं।
यूरोप और अमेरिका में मुस्लिमों की स्थिति
यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भले ही मुस्लिमों की कुल संख्या कम है, लेकिन 2010 से 2020 के बीच इन क्षेत्रों में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर गैर-मुस्लिमों की तुलना में अधिक रही है। यह दर्शाता है कि इस्लाम की वैश्विक उपस्थिति लगातार बढ़ रही है।
प्यू रिसर्च सेंटर की इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मुस्लिम समुदाय वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह बन गया है। यदि यही रुझान जारी रहा, तो आने वाले दशकों में मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या के बीच का अंतर और घट सकता है, और दोनों लगभग बराबरी पर आ सकते हैं। हिंदू आबादी स्थिर बनी हुई है, जबकि बौद्धों और अन्य धर्मों की वृद्धि दर अपेक्षाकृत धीमी रही है।
यह रिपोर्ट न सिर्फ जनसंख्या के आंकड़ों को दर्शाती है, बल्कि आने वाले समय की सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को दिशा देने में भी अहम भूमिका निभा सकती है।
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