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अभिनेता अनिल कपूर ने बदल दी यूपी के वकील अनिल प्रताप सिंह की तकदीर

अभिनेता अनिल कपूर ने बदल दी यूपी के वकील अनिल प्रताप सिंह की तकदीर

अभिनेता अनिल कपूर ने बदल दी यूपी के वकील अनिल प्रताप सिंह की तकदीर

लखनऊ : भारतीय समाज में फिल्मों का बहुत ज्यादा योगदान होता है कहा जाता है जो हमारे समाज में घटता है वही फ़िल्मी परदे पर दिखाया जाता है और हमारा समाज इन फिल्मों से अच्छी और बुरी चीजो को सीखता है, अच्छी चीज़ बहुत कम लोग सीखते है बुरी ज्यादा लोग जो अच्छी चीज सीखता है वो किसी न किसी बड़े मुकाम पर पहुचता है कुछ ऐसी ही कहानी फिल्म अनिक कपूर की मेरी जंग की है, जिसमें एक लड़का बहुत संघर्षों के बाद क्रिमिनल वकील बनता है उस अनिल कपूर को देख कर काफी साल पहले एक लड़का लॉ करने का सोचता है और बहुत बड़ा क्रिमिनल वकील बनना चाहता है और आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा आरहे है जो बड़े क्रिमिनल वकील के साथ साथ यूपी बार कौंसिल का अध्यक्ष बना |

जी हा हम बात कर रहे है यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष "अनिल प्रताप सिंह" के बारे में , घर वाले चाहते थे की लड़का डॉक्टर बने घर का नाम रोशन करे लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था बनना था डॉ लेकिन बन गए एक मशहूर वकील, लेकिन अचानक वकालत से मोह भंग हो गया और निकल पड़े नौकरी करने लेकिन वहा काम नहीं बना तब सोचा की पत्रकार बन जाएँ किस्मत ने साथ दिया और पत्रकारिता की परीक्षा में टॉप किया और एक अखबार में लॉ रिपोर्टर बन गए, इससे पहले कई जगह इंटरव्यू दिया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा |

अपने पहले मुकदमें उस ज़माने का चर्चित प्रिया वाही मर्डर केस का जिक्र करते हुए भावुक हो जाते है बताते है की वो रात अपने जीवन भर नहीं भूल पायेगें पूरी रात आखों में कट गयी फ्रिज का सारा पानी पी गए, कोर्ट में बदहवास ही हालत में पहुचे समझ में नहीं आ रहा था की क्या करना है लेकिन पीछे से आये DGC क्रिमिनल वकील ने कंधे पे हाथ रक्खा और कहा की तुमने तो मेरा गवाह ही तोड़ लिया तब जा कर लगा मैं कोर्ट रूम में हूँ, इस मुकदमें के बाद पीछे मुडकर कभी नहीं देखा साथी वकील, जज जानने लगे की कोई लड़का आया है जिसमें कुछ कर गुजरने की चाहत है |

कहते है की अगर किसी को कुछ देना है तो अच्छा वक्त दो क्युकी आप हर चीज़ वापस ले सकते हो मगर किसी को दिया हुआ अच्छा वक्त नहीं ले सकते हो, कुछ ऐसा ही वाक्य बताते हुए भावुक हो जाते है की एक चीनी मिल में इंटरव्यू देने गए लेकिन वहा पर सिर्फ उनसे ये कहा गया की तुम ठाकुर हो और वो भी पूर्वांचल के जिस कारण इनको नौकरी नहीं मिली लेकिन कहते है की समय पलटता ज़रूर है जिस अधिकारी ने नौकरी देने से मन कर दिया था वो अधिकारी पंद्रह साल बाद उनके चैंबर में आया और अपनी मिल का केस लेने को कहा जब उन्होंने उस अधिकारी से कहा की मुझे आप पहचान पाए तो उस अधिकारी ने मना कर दिया लेकिन बाद में इन्होने बताया की मैं वही हूँ जिसको आपने नौकरी देने से मन कर दिया था जिसके बाद वो अधिकारी सर नीचे झुका कर बैठ गया |

अनिल प्रताप सिंह" ने बताया उन दिनों जब मैं बहुत परेशान था तब मेरी पत्नी और मेरे गुरु श्री वी के शाही ने मुझे बहुत सहयोग दिया कम पैसे में कैसे घर चलता है बच्चों को कैसे पाला पोसा जाता है उन्होंने बहुत अच्छे से किया और वो आज जो भी है उनके ही बदौलत है, जीवन में गुरु का होना बहुत ज़रूरी है लोग बताते है की मेरे गुरु जी श्री वी के शाही का भी अहम् योगदान मेरी सफलता में है |

इस प्रोफेशन में आने से पहले वकील अपने दिल को मजबूत कर लें तब आयें अन्यथा उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा साथ ही कहते है की जिस तरह लोग माशूका से मोहब्बत करते है उसी तरह जब तक वकालत से नहीं करेगें तब तक सफल नहीं हो पायेगें कुछ वकीलों की वजह से पूरी वकील बिरादरी को बदनाम होना पड़ता है कुछ वकील अपने गलत काम को करने के लिए वकालत का पेशा अपनाते है जो की बहुत शर्मनाक है |

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