वाराणसी. राष्ट्रपति की रेस में सबसे प्रबल दावेदार रामनाथ कोविंद BJP और मोदी की पहली पसंद यूं ही नहीं बने हैं। दरसअल रामनाथ कोविंद पहले से PM नरेंद्र मोदी के बेहद ही करीब माने जाते हैं तभी तो PM ने तमाम अटकलों के बाद रामनाथ को देश के 14वें राष्ट्रपति के लिए NDA का उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही उनके नामांकन तक साथ रहे।
दरसअल 2014 लोकसभा चुनाव में वो रामनाथ ही हैं जिन्होंने PM के संसदीय क्षेत्र में बैठकर पूरे पूर्वांचल में BJP को विजयश्री दिलाने की रणनीति तैयार की थी। यही नहीं राष्ट्रपति के उम्मीदवार रामनाथ लोकसभा चुनाव में काशी क्षेत्र के BJP के प्रभारी भी नियुक्त किए गए थे। तब वो पार्टी में महामंत्री का जिम्मा संभाले हुए थे। जिसका फल उन्हें मोदी ने चुनाव जीतने के बाद दिया और उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब वो राष्ट्रपति के सबसे मजबूत दावेदार है।
2014 में जब PM नरेंद्र मोदी वाराणसी के संसदीय क्षेत्र से अपने लोकसभा चुनाव का भाग्य आजमाने के लिए गुजरात से काशी आए थे तब पार्टी के लिए ये साख का विषय था कि किसी भी परिस्तिथि में मोदी को चुनाव जीतना है। क्योंकि पार्टी ने उन्हें PM पद के लिए भी जनता के सामने रखा था। ऐसी स्तिथि में इस बात पर भी ये अमल करना जरूरी था कि जब खुद PM पद का उम्मीदवार काशी से चुनाव लड़े तो पूर्वांचल में कमल ही खिले। ये बात अलग है कि काशी की सीट BJP के पास सुरक्षित थी लेकिन आस-पास के जिलों में कई पार्टियों ने पहले से ही अपना वर्चस्व कायम कर रखा था। जिससे ये साफ जाहिर हो रहा था कि BJP के लिए ये इलाका किसी सूखाग्रस्त के कम नहीं था। जिसके बाद नाम सामने आया रामनाथ कोविंद का और पार्टी ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें मोदी के साथ-साथ पूर्वांचल में कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी और रामनाथ कोविंद पार्टी के विश्वासों पर खरा उतर काशी सहित अगल-बगल के जिले से 2014 के लोकसभा चुनाव में 14 में से 13 सीटें जीतकर पार्टी की झोली में डाल दिया। सिर्फ एक सीट पर भाजपा का कमल नहीं खिल सका क्योकि वहाँ से सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे थे।
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