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प्यास लगे तो ये पानी मत पीना नहीं तो हो जायेगा मुश्किल जीना

जहरीले पानी की समस्या के कारण असम के केवल होजई में ही पिछले छह साल के भीतर पांच साल से कम आयु के एक हजार से अधिक बच्चे फ्लोरोसिस के कारण अपंग हो चुके हैं।

 प्यास लगे तो ये पानी मत पीना नहीं तो हो जायेगा मुश्किल जीना

नई दिल्ली : जहरीले पानी की समस्या के कारण असम के केवल होजई में ही पिछले छह साल के भीतर पांच साल से कम आयु के एक हजार से अधिक बच्चे फ्लोरोसिस के कारण अपंग हो चुके हैं।असम पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (पीएचईडी) के अधिकारियों के अनुसार, फ्लोराइड से दूषित होने पर पानी जहरीला हो जाता है और यही बच्चों को अपंगता के दलदल का शिकार हो जाते है। असम के 11 जिलों में पानी में फ्लोरिन का स्तर तय सीमा (1 मिलीग्राम प्रति लीटर) से अधिक पाया गया है, जिस कारण अनुमानित तौर पर 3,56,000 लोग खतरे के उच्च बिंदु पर हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर आपात कदम नहीं उठाए गए, तो इसके परिणाम भयावह होंगे।

असम के पीएचईडी विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता नजीबुद्दीन अहमद के बताया , “होजई जिले में पिछले कुछ वर्षो के दौरान पांच साल से कम उम्र के एक हजार से अधिक बच्चे अपंग हो चुके हैं।” होजई असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी से 170 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। भूजल के इस्तेमाल में बढ़ोतरी होने के साथ ही फ्लोराइड प्रदूषण का खतरा हालिया वर्षो में केवल होजई ही नहीं, बल्कि राज्य में हर जगह बढ़ा है।

अहमद ने ये भी कहा, “अगर अतीत की ओर रुख करें, तो लोग पेयजल के लिए सतह पर मौजूद जलस्रोतों पर निर्भर थे। लेकिन आज की तारीख में केवल 15 फीसदी आबादी सतह पर मौजूद जलाशयों पर निर्भर है, जबकि 85 फीसदी आबादी के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत भूजल है। चूंकि जल स्तर घटता जा रहा है, इसलिए फ्लोराइड जैसे खनिजों की सांद्रता भूजल में बढ़ती जा रही है, जिससे पेयजल के फ्लोराइड से प्रदूषित होने का खतरा भी बढ़ गया है।”

स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एन्वायरन्मेंट कंजर्वेशन सेंटर के सचिव धरानी सैकिया के अनुसार , “फ्लोराइड जल में पाया जाने वाला स्वाभाविक खनिज है, लेकिन जलवायु में हो रहे परिवर्तन की वजह से इसकी मात्रा बढ़ती जा रही है।” बारिश न होने के कारण पानी जमीन के अंदर नहीं जा पा रहा, जिससे भूजल स्तर गिरता जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने समस्या को और विकराल कर दिया है। सैकिया ने कहा, “बारिश भरपूर होती है, तो फ्लोराइड की मात्रा सामान्य रहती है, लेकिन बारिश कम होने की वजह से इसका स्तर बढ़ता है।”

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