जोशीमठ : शनिवार दोपहर को रेल मंत्री सुरेश प्रभु और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बदरीनाथ में आयोजित एक समारोह में अंतिम स्थान के चयन के लिये सर्वेक्षण का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह और उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुरेन्द्र उनियाल, बदरीनाथ क्षेत्र के विधायक महेन्द्र भट्ट तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि आदि शंकराचार्य और पांडव भी बदरीनाथ धाम यात्रा पर आए थे, लेकिन उस समय परिस्थिति बहुत विषम थी। वर्तमान में नई तकनीक के जरिए देश की जनता की यात्रा को सुगम बनाने के लिए इन चारों धाम को रेल से जोड़ने की कोशिश की जा रहा है। इस अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि चमोली जिले में कोटी जोशीमठ में कृषि विज्ञान केन्द्र खोला जाएगा।
योजना पर 43 हजार 292 करोड़ रुपए आएगा खर्च
रेल मंत्री ने कहा सर्वेक्षण का काम एक साल में पूरा हो जाएगा। चार धाम को रेललिंक से जोड़ने की पूरी योजना पर 43 हजार 292 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना के तहत रेल लाइन बिछाने के अलावा भूस्खलन एवं पर्यावरण बचाव पर भी काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चारधाम को रेल के जोडऩे से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। गौरतलब है कि विदेशी एवं घरेलू पर्यटक दर्शनीय स्थलों को देखने के साथ-साथ ट्रैकिंग के लिए उत्तराखंड जाते हैं। रेलवे ने इस चार धाम रेल संपर्क परियोजना के जरिए पर्यटकों को सुरक्षित एवं आरामदेह यात्रा सुलभ कराने का निश्चय किया है। रेल विकास निगम लिमिटेड के जरिए भारतीय रेल ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच नई रेल लाइन बिछाने की महत्वाकांक्षी योजना पर फिलहाल काम कर रही है।
इस मार्ग में बनाए जाएंगे 61 सुरंग और 59 पुल
इस लाइन का अभियांत्रिकी सर्वेक्षण किया जा चुका है, जिसके अनुसार चार धाम रेल लिंक परियोजना के लिए कुल 327 किलोमीटर की लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें से 279 किलोमीटर की लाइन 61 सुरंगों से होकर गुजरेगी। इस परियोजना में कुल 59 पुल और कुल 21 स्टेशन बनाये जाएंगे। वर्ष 2017-18 के बजट में 120.92 करोड़ रुपए का प्रावधान इस सर्वेक्षण के लिए किया गया है। रेल मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को उत्तराखंड में चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा के लिए रेल संपर्क सुनिश्चित करने हेतु आखिरी स्थान सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह रेल लाइन विशाल हिमालय के दुर्गम पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरेगी। इसलिए रेल निर्माण की बड़ी चुनौती का सामना रेलवे को करनाभी पद सकता है।
बदरीनाथ व केदारनाथ में खुलेगा यात्री आरक्षण केन्द्र
बदरीनाथ एवं केदारनाथ में यात्री आरक्षण केन्द्र भी खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि 12 महीने हर मौसम के अनुकूल सड़क के बाद प्रधानमंत्री ने चार धाम को रेल से जोडऩे की जो पहल की है, उससे राज्य के जनता को रोजगार मिलने के साथ साथ नए पर्यटक स्थल भी भारत के मानचित्र में नजर आएगे।
चारधाम को रेल लाइन से जोड़ना है चुनौतीपूर्ण
प्रस्तावित चार धाम कनेक्टिविटी से निकटतम रेलवे स्टेशन दोईवाला, ऋषिकेश और कर्णप्रयाग हैं, जो औसत समुद्री स्तर से 400-825 मीटर ऊपर हैं। एमएसएल से 2000 मीटर एवं उससे भी ज्यादा ऊंचाई को प्रस्तावित चारधाम रेल लाइन के जरिए जोड़ना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। गंगोत्री के लिए दोईवाला से 131 किलोमीटर लाइन वाया उत्तरकाशी, मनेरी तक बिछायी जाएगी। यमुनोत्री के लिये उत्तरकाशी से 22 किलोमीटर पालर तक का लिंक तैयार किया जाएगा। केदारनाथ के लिए कर्णप्रयाग से 99 किलोमीटर का लिंक सोनप्रयाग तक बनाया जाएगा। बदरीनाथ के लिये कर्णप्रयाग-सोनप्रयाग लिंक पर साईकोट से जोशीमठ तक 75 किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछायी जाएगी। उत्तराखंड के ये चार धाम, हिंदुओं की आस्था के प्रमुख आधार है। देशभर से बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री चार धाम जाते हैं।
नवीनतम न्यूज़ अपडेट्स के लिए Facebook, Twitter, व Google News पर हमें फॉलो करें और लेटेस्ट वीडियोज के लिए हमारे YouTube चैनल को भी सब्सक्राइब करें।