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छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनन्द जगाता है शिक्षक

छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनन्द जगाता है शिक्षक

छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनन्द जगाता  है शिक्षक

5 सितम्बर - शिक्षक दिवस पर विशेष लेख

- डॉ. जगदीश गाँधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,

सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सीएमएस), लखनऊ

(1)  सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन का जन्मदिवस प्रतिवर्षशिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है:-

               5 सितम्बर को प्रतिवर्ष की भांति सारा देश पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन का जन्मदिवस ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाने जा रहा है। डा. राधाकृष्णन एक विद्वान दार्शनिक, महान शिक्षक, भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् के सर्वश्रेष्ठ व्याख्याकार थे। महर्षि अरविन्द के अनुसार ‘‘शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। महान विचारक पाऊलो फेरी के अनुसार शिक्षा लोगों को बदलती है, और लोग शिक्षा द्वारा दुनियाँ को बदल सकते हैं। नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित नेल्सन मण्डेला के अनुसार शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा विश्व में सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। हमारा 63 वर्षों के शैक्षिक अनुभव के आधार पर मानना है कि 21वीं सदी में ग्लोबल विलेज के रूप में विकसित विश्व अब ‘वसुधा एक कुटुम्ब’ के रूप में विस्तार चाहता है। पारिवारिक एकता ही विश्व एकता की आधारशिला है।

(2) देश-विदेश के सभी महान शिक्षकों कोशिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ:-

               यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल देश में न केवल एक नई शिक्षा नीति लागू की गयी है, बल्कि इस देश के शिक्षक ‘विश्व गुरू’ की खोई हुई अपनी प्रतिष्ठा को पुनः पाने के लिए संकल्पित भी हैं। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण न केवल भारत की बल्कि सारी दुनियाँ के बच्चों की शिक्षा पिछले लगभग डेढ़ साल से काफी प्रभावित रहीं। इस दौरान बच्चों को शिक्षा देने में शिक्षकों के सामने तमाम चुनौतियां उत्पन्न हुई। हमारे शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों की मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता का निरन्तर विकास करते हुए उनके मन-मस्तिष्क में शिक्षा की अलख जलाये रखीं। भविष्य में भी हमारे कठोर परिश्रमी शिक्षक किसी भी प्रकार की वैश्विक समस्याओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में सरकारों, मेडिकल स्टॉफ तथा अभिभावकों के अनुकरणीय योगदान के लिए मानव जाति सदैव उनकी ऋणी रहेगी।

(3) शिक्षा द्वारा सारी वसुधा को कुटुम्ब बनाने का सीएमएस का अनूठा अभियान:-

               सीएमएस का 63 वर्षों के व्यापक शैक्षिक अनुभव के आधार पर मानना है कि मनुष्य की ओर से सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अर्पित की जाने वाली समस्त सम्भव सेवाओं में से सर्वाधिक महान सेवा है- (अ) बच्चों की शिक्षा, (ब) उनके चरित्र का निर्माण तथा (स) उनके हृदय में परमात्मा के प्रति अटूट प्रेम उत्पन्न करना। दो शिक्षकांे के रूप में सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ की नींव मेरी पत्नी डॉ. भारती गाँधी तथा मैंने मिलकर 1 जुलाई 1959 को किराये के मकान में पड़ोसी से 300/- रूपये उधार लेकर डाली थी। वर्ष 1959 में 5 बच्चों से शुरू हुए इस विद्यालय में आज लखनऊ शहर में स्थित 18 शाखाओं में 55,000 (पचपन हजार) से अधिक छात्र-छात्रायें मोन्टेसरी से लेकर इण्टरमीडिएट तक की चरित्र निर्माण तथा विश्व एकता की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सीएमएस द्वारा अपनी स्थापना के समय से ही ‘जय जगत’ को ध्येय वाक्य के रूप में अपनाया गया है।

(4) शान्ति के विचार देने के लिए मनुष्य की सबसे श्रेष्ठ अवस्था बचपन है:-

               युद्ध के विचार सबसे पहले मनुष्य के मस्तिष्क में पैदा होते हैं अतः दुनियाँ से युद्धों को समाप्त करने के लिये मनुष्य के मस्तिष्क में ही शान्ति के विचार उत्पन्न करने होंगे। शान्ति के विचार देने के लिए मनुष्य की सबसे श्रेष्ठ अवस्था बचपन है। स्कूल चार दीवारों वाला एक ऐसा भवन है जिसमें कल का भविष्य छिपा है। मनुष्य तथा मानव जाति का भाग्य क्लास रूम में गढ़ा जाता है। शिक्षकों को पूरे मनोयोग से विद्यालय को लघु विश्व का मॉडल तथा बच्चों को विश्व नागरिक बनाना चाहिए। चरित्र निर्माण एवं विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है! अभिभावकों को भी विद्यालय में मिल रहे इन विचारों के अनुकूल घरों में बाल्यावस्था ये विचार अपने बच्चों को बाल्यावस्था से देना चाहिए। विद्यालय तथा घर ही सबसे बड़े तीर्थधाम हैं।

(5) मनुष्य की भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीन वास्तविकतायें होती हैं:-

               आज आधुनिक विद्यालयों के द्वारा बच्चों को एकांकी शिक्षा अर्थात केवल भौतिक शिक्षा ही दी जा रही है, जबकि मनुष्य की तीन वास्तविकतायें होती हैं। पहला- मनुष्य एक भौतिक प्राणी है, दूसरा- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा तीसरा मनुष्य- एक आध्यात्मिक प्राणी है। इस प्रकार मनुष्य के जीवन में भौतिकता, सामाजिकता तथा आध्यात्मिकता का संतुलन जरूरी है। सीएमएस में प्रत्येक बालक की तीनों वास्तविकताओं को ध्यान मंे रखते हुए भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों प्रकार की संतुलित शिक्षा देने के लिए 2000 से अधिक टीचर्स तथा 1000 से अधिक सहयोगी कार्यकर्ता पूरे मनोयोग तथा समर्पित भाव से रात-दिन संलग्न हैं।

(6) भौतिक शिक्षा के अन्तर्गत शिक्षकों को प्रत्येक बालक को सभी विषयों का उत्कृष्ट ज्ञान देना चाहिए:-

               भौतिक शिक्षा के अन्तर्गत सी.एम.एस. अपने प्रत्येक बालक को सभी विषयों को उत्कृष्ट ज्ञान दे रहा है। प्रत्येक वर्ष की भांति ही इस वर्ष शैक्षिक सत्र 2020-2021 में हमारे शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन में छात्रों ने आई.एस.सी.

(कक्षा 12) तथा आई.सी.एस.ई. (कक्षा 10) में पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ रिजल्ट अर्जित करने का कीर्तिमान बनाया है। सीएमएस के सर्वाधिक छात्र प्रतिवर्ष अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा के बलबुते संसार के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप सहित दाखिले के लिए चुने जाते हैं। इस वर्ष सिटी मोन्टेसरी स्कूल के 48 मेधावी छात्रों ने विश्व के प्रख्यात विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हेतु 1,03,48,018 अमेरिकी डालर (एक करोड़ तीन लाख अड़तालीस हजार अठारह अमेरिकी डालर) की स्कॉलरशिप अर्जित कर लखनऊ का नाम अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर गौरवान्वित किया है। साथ ही प्रतिवर्ष सीएमएस के सर्वाधिक छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल, आईआईटी, नीट, क्लैट आदि में चुने जाते हैं। 

(7) सामाजिक शिक्षा के अन्तर्गत शिक्षकों को प्रत्येक छात्र का विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए:-

               सीएमएस वर्ष 2001 अर्थात विगत 21 वर्षों से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य

न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन प्रतिवर्ष कर रहा है। प्रतिवर्ष आयोजित इन सम्मेलनों में विश्व के विभिन्न देशों से प्रतिभाग करने पधारे मुख्य न्यायाधीशों से सीएमएस के छात्र अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं तथा उनके समाधान खोजने पर चर्चा करते हैं। मेरे संयोजन में वर्ष 2001 से 2020 तक प्रतिवर्ष आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अब तक 136 देशों के 1329 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, हेड ऑफ दि स्टेट/गवर्नमेन्ट, संसद के स्पीकरों ने प्रतिभाग किया है। इन सम्मेलनों में मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों एवं शांति प्रचारकों ने प्रतिभाग करके विश्व संसद, विश्व सरकार तथा वर्ल्ड कोर्ट ऑफ जस्टिस के गठन को अपना सर्वसम्मति से समर्थन दिया है। हमारे विद्यालय के शिक्षकों द्वारा विभिन्न शैक्षिक विषयों पर सर्वाधिक 20 अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन प्रत्येक बालक का विश्वव्यापी, वैज्ञानिक तथा मानवीय दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रतिवर्ष किया जाता है।

(8) आध्यात्मिक शिक्षा के अन्तर्गत शिक्षकों को प्रत्येक छात्र को सभी धर्मों की मूल शिक्षाओं का ज्ञान देना चाहिए:-

               आध्यात्मिक शिक्षा के अन्तर्गत सीएमएस में रोजाना स्कूल प्रेयर एसेम्बली में सर्व धर्म प्रार्थना से पढ़ाई की शुरूआत होती है। तथापि वर्ल्ड यूनिटी प्रेयर के द्वारा ‘सारे विश्व में शान्ति हो’ की प्रार्थना की जाती है। प्रत्येक बालक को एक ही परमपिता परमात्मा की ओर से युग-युग में अपने संदेशवाहकों के द्वारा भेजी गई पवित्र ग्रन्थों- गीता, त्रिपटक, बाईबिल, कुरान शरीफ, गुरू ग्रन्थ साहिब, किताबे अकदस में संकलित परमात्मा की एक जैसी मूल शिक्षाओं का ज्ञान कराया जा रहा है तथा परमात्मा की शिक्षाओं पर चलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बच्चों को बताया जा रहा है कि सभी संदेशवाहक राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईशु, मोहम्मद, मोजज, अब्राहम, जोरस्टर, नानक, बहाउल्लाह एक ही परमात्मा की ओर से युग-युग में प्रगतिशील श्रृंखला के अन्तर्गत धरती पर अवतरित हुए हैं। अब एक ही छत के नीचे अब सब धर्मों की प्रार्थना होनी चाहिए।

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