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COVID19 : भैंस के बच्चे में मिला कोरोना का नया वैरियंट ‘बुवाइन’, जाने इन्सानों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है यह वेरिएंट?

पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि आने वाले 10 वर्षों में इंसानों में जो बीमारियां आएंगी, वो पशुओं से आने की आशंका है।

COVID19 :  भैंस के बच्चे में मिला कोरोना का नया वैरियंट ‘बुवाइन’, जाने इन्सानों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है यह वेरिएंट?

COVID19 : भैंस के बच्चे में मिला कोरोना का नया वैरियंट ‘बुवाइन’, जाने इन्सानों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है यह वेरिएंट? 

पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि आने वाले 10 वर्षों में इंसानों में जो बीमारियां आएंगी, वो पशुओं से आने की आशंका है। जैसे कोरोना वायरस का खतरा अभी तक टला नहीं है, इसी तरह कई वायरस है जो जानवरों में मौजूद हैं। 

हरियाणा: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी तक थमी ही नहीं थी कि कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद अब नए वेरिएंट बुवाइन ने दस्तक दे दी है। हालांकि यह वेरिएंट अभी हरियाणा के हिसार में एक महीने के भैंस के बच्चे मे पाया गया है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के एनिमल बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस बुवाइन कोरोना वायरस को खोजा है। 

पूरे हरियाणा से कटड़ों के 250 से ज्यादा नमूने लिए गए थे जिसमें से कई पॉजिटिव मिले। उन्हीं पॉजिटिव सैंपलों में से रिसर्च करने के लिए 5 की सीक्वेंसिंग की गई तो ये परिणाम सामने आया है। खास तौर पर ये रिसर्च इसलिए की गई थी कि बुवाईन करोना वायरस अलग-अलग जानवरों को होने की प्रवृति रखता है या नहीं।

क्या है वैज्ञानिक का कहना? 

विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि आने वाले 10 वर्षों में इंसानों में जो बीमारियां आएंगी, वो पशुओं से आने की आशंका है उन्होंने कहा कि जैसे कोरोना वायरस का खतरा अभी तक टला नहीं है। इसी तरह कई वायरस है जो जानवरों में मौजूद हैं और म्यूटेशन के बाद नया रूप ले सकते हैं। लेकिन हमें ये भी जानना जरूरी है कि ये वायरस अब किस प्रजाति में जा रहा है।

क्या यह इन्सानों में पहुँच सकता है? 

वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि बुवाइन कोरोना वायरस पशुओं के मलमूत्र, दूध या मांस के जरिए इसानों में पहुंच सकता है। विभाग की रिसर्च के अनुसार ये वायरस सबसे पहले ऊंट से कटड़े में आया था। वायरस की ये प्रकृति म्युटेंट होती रहती है, यानी बड़े जानवरों और इंसानों में भी जा सकता है।

अगर ये म्युटेंट होकर पशुओं से इंसान में पहुंच गया तो काफी नुकसान पहुंचा सकता है। डॉ. मीनाक्षी के अनुसार SARS Covid-2 वायरस से भी इंसानों को शुरू में दस्त की शिकायत हुई थी। इसी आधार पर वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज भी नैनो फार्मूलेशन से खोज रहें हैं और नैनो फार्मूलेशन से सकारात्मक परिणाम मिल रहें हैं।

बुवाइन वेरिएंट के लक्षण-

इसमें कटड़े को दस्त होते हैं और डायरिया भी हो सकता है और ज्यादा संक्रमण होने की वजह से कटड़ा मर भी सकता है। इतना ही नहीं ये छोटे कटड़े से बड़े जानवरों में भी फैल सकता है। जानवरों के मल, मांस और दूध इत्यादि से इंसानों में भी फैल सकता है। डॉ मीनाक्षी के अनुसार वायरस से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए वैक्सीन आवश्यक है। भविष्य में इस वायरस को लेकर भी वैक्सीन बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि किसानों और पशुपालकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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