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BCCI के रवैये पर गांगुली ने जताई चिंता, कहा भारतीय क्रिकेट प्रशासन का भविष्य खतरे में

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने मंगलवार को कहा कि BCCI सीईओ राहुल जौहरी के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामले पर अपनाये गये ढीले रवैये और कुछ अन्य प्रमुख मामलों को देखते हुए वह भारतीय क्रिकेट प्रशासन के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

BCCI के रवैये पर गांगुली ने जताई चिंता, कहा भारतीय क्रिकेट प्रशासन का भविष्य खतरे में

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने मंगलवार को कहा कि BCCI सीईओ राहुल जौहरी के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामले पर अपनाये गये ढीले रवैये और कुछ अन्य प्रमुख मामलों को देखते हुए वह भारतीय क्रिकेट प्रशासन के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अब बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट खतरे में हैं और वह नहीं जानते कि चीजें किस तरह आगे बढ़ रही हैं। 

गांगुली ने BCCI के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी को संबोधित कड़े पत्र में लिखा है- ‘मैं नहीं जानता कि इनमें (जौहरी के खिलाफ लगे आरोपों) कितनी सच्चाई है लेकिन उत्पीडऩ की हाल की रिपोर्टों से वास्तव में बीसीसीआई की छवि धूमिल हुई है, विशेषकर जिस तरह से इस मामले से निपटा गया।’

इस 46 वर्षीय क्रिकेटर ने जो पत्र लिखा है उसकी एक प्रति पीटीआई के पास भी है। उन्होंने लिखा है, ‘मैं आप सभी को यह पत्र इस गहरी चिंता के साथ लिख रहा हूं कि आखिर भारतीय क्रिकेट प्रशासन किधर जा रहा है। ’जौहरी पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये एक अज्ञात ने यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाये थे। उनके खिलाफ जांच के लिये प्रशासकों की समिति (सीओए) ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है।

दो सदस्यीय COA में चेयरमैन विनोद राय और डायना एडुल्जी शामिल हैं और इस मामले में वे एकमत नहीं हैं। एडुल्जी चाहती हैं कि जौहरी को जांच लंबित रहने तक बर्खास्त या निलंबित किया जाए जबकि राय पहले जांच रिपोर्ट चाहते हैं और उनकी बर्खास्तगी की राह में खड़े हैं। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली ने भी राय और एडुल्जी के बीच मतभेदों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट अपनी साख गंवा रहा है। 

गांगुली ने लिखा है, ‘मैं गहरी चिंता के साथ यह कहना चाहता हूं कि पिछले दो वर्षों में जिस तरह से चीजें आगे बढ़ी है उससे विश्व में भारतीय क्रिकेट का दबदबा और लाखों प्रशसंकों का प्यार और विश्वास कम हुआ है।’

उन्होंने सत्र के बीच में खेल से संबंधी नियमों में बदलाव के संदर्भ में कहा, ‘सीओए की संख्या चार से घटकर दो रह गयी है और अब लगता है कि ये दो भी बंटे हुए हैं। सत्र के बीच में ही क्रिकेट से जुड़े नियम बदल दिये जाते हैं जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ था। ’

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