
Himachal Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र में 30 जून से 1 जुलाई के बीच हुई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई है। थुनाग और उसके आसपास के क्षेत्र, जहां भारी बारिश और बादल फटने से भयंकर नुकसान हुआ है, एक बार फिर से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यहाँ के लगभग 150 मकान और दुकानें जमींदोज हो गई हैं, वहीं जरोल बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जंजैहली में जल प्रलय के कारण इलाके का नक्शा पूरी तरह से बदल चुका है, और सराज घाटी अब अन्य क्षेत्रों से पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है।
आपदा से बनी स्थिति: सड़कों और पुलों का टूटना
इस आपदा ने सराज के बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। थुनाग का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है क्योंकि सभी सड़कें और पुल धराशायी हो गए हैं। बिजली, पानी, और संचार सेवाएं ठप हो चुकी हैं, जिससे राशन, पेयजल और अन्य जरूरी सामग्रियों की किल्लत उत्पन्न हो गई है।
खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर लोग
मोबाइल नेटवर्क की अनुपस्थिति ने राहत कार्यों को जटिल बना दिया है, और प्रभावित लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। अस्पतालों, स्कूलों और सरकारी भवनों को भी भारी नुकसान हुआ है। इन क्षेत्रों को फिर से चालू होने में लंबा समय लग सकता है। राहत और बचाव कार्यों में स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और ग्रामवासियों की टीम जुटी हुई हैं। आपदा प्रबंधन टीम ने बगस्याड़ से पैदल चलकर थुनाग पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। स्थानीय लोग सोशल मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
खाद्य संकट: 38 पंचायतों में खाद्य सामग्री की किल्लत
सराज क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी आपदा के कारण 80,000 से ज्यादा लोग गंभीर खाद्यान्न संकट का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से थुनाग, पखरैर, जरोल, पांडवशीला, और चिउणी जैसी पंचायतों में स्थिति काफी खराब है। लोग भुखमरी का शिकार हो गए हैं और सड़कों के बंद होने से राहत सामग्री पहुँचाने में दिक्कतें आ रही हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को रैनगलू और जंजैहली में राशन किट पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन मार्गों के क्षतिग्रस्त होने के कारण वह हेलीपैड तक नहीं पहुँच सके।
संचार और बिजली संकट: दर्जनों टावर ठप
संचार व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप हो गई है। मोबाइल नेटवर्क न के बराबर है और दर्जनों टावर काम नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, गोहर-थुनाग 33 केवी लाइन के क्षतिग्रस्त होने के कारण बिजली की आपूर्ति भी ठप है। चैल-जंजैहली सड़क का 10 फीसदी हिस्सा गायब हो गया है और लंबाथाच-कलहणी, पंडोह, लंबाथाच-चिउणी-शैटाधार जैसी सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। इसके कारण ग्रामीणों का अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है।
प्रभावितों की अपील: सुरक्षित स्थान पर शरण देने की मांग
सरोआ पंचायत के उपप्रधान देवेंद्र राणा उर्फ पम्मी ने कहा कि बारिश के दौरान खड्डों ने रौद्र रूप धारण किया, जिससे कई घर बह गए और सभी सामान पानी में बहकर चला गया। उन्होंने बताया कि अब तक केवल पटवारी ही मौके पर पहुंचे हैं, जबकि अन्य प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे। उन्होंने सरकार से अपील की कि बेघर हुए लोगों के लिए तात्कालिक राहत कार्य किए जाएं। राहत शिविरों में अब तक 357 लोगों को ठहराया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिक्रिया: “सराज में सबसे बड़ी त्रासदी”
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस आपदा को सराज क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी बताया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से अपील की कि राहत कार्यों में तेजी लाई जाए और लापता लोगों की खोजबीन तेज की जाए।
स्थाठी गांव में 20 घर क्षतिग्रस्त
स्थाठी गांव में भूस्खलन के कारण 20 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। प्रभावित परिवारों ने बताया कि इस आपदा में उनका पूरा गांव प्रभावित हुआ है, और उनके पास तंबू लगाने के लिए भी जमीन नहीं बची। मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रभावितों को सरकारी भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है और कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो यह मामला केंद्र सरकार के पास उठाया जाएगा।
आपदा के कारण सराज क्षेत्र के लोग आज भी संकट में हैं, और राहत कार्यों की गति में कमी के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ रही हैं।
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