
नई दिल्ली. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली तीन दिनों की भारत यात्रा पर शुक्रवार को राजधानी दिल्ली पहुंच गए हैं। ओली ऐसे समय में भारत आए हैं जब नेपाल और चीन के रिश्तों में काफी मिठास घुल रही है और भारत के साथ उसके रिश्ते कड़वाहट हो रहे हैं। जब केपी ओली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे तो निश्चित तौर पर पीएम मोदी चीन पर एक सख्त संदेश ओली को देना चाहेंगे। नेपाल के पीएम ओली तीन दिनों तक भारत में होंगे और इस दौरान भारत पूरी तरह से इस बात की कोशिश करेगा कि चीन पर अपना स्पष्ट रुख ओली को कड़े शब्दों में बताया जा सके। नेपाल में 2;5 बिलियन डॉलर की लागत से बुधी गंडकी डैम प्रोजेक्ट पर काम हो रहा ह। नेपाल के मध्य-पश्चिम में स्थित इस नदी पर बनने वाला बांध ही दरअसल भारत और चीन के संबंधों में रस्साकसी का विषय बन गया है। पिछले वर्ष तत्कालीन नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड चीन की यात्रा पर गए थे। जब वह चीन से लौटे तो जून में उन्होंने इस डैम को चीन की गेझोहोउबा ग्रुप को दे दिया। इसके साथ ही नेपाल ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव में शामिल होने का फैसला किया।
देउबा ने एग्रीमेंट कर दिया कैंसिल
कुछ माह के अंदर ही नेपाली कांग्रेस के लीडर शेर बहादुर देउबा ने बतौर पीएम देश की जिम्मेदारी संभाल ली और इस डैम प्रोजेक्ट को कैंसिल कर दिया। उनका कहना था कि इस एग्रीमेंट में कई तरह की खामियां थीं और गलत तरीकों से इसे साइन किया गया था। देउबा ने भारत के कहने पर ऐसा किया था। फरवरी में ओली ने नेपाल के पीएम का पद संभाला है और पिछले माह उन्होंने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'वह किसी भी कीमत पर बुधी गंडकी प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की मंशा रखते हैं। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक पूर्वाग्रह या किसी प्रतिद्वंदी कंपनियों के दबाव की वजह से इस प्रोजेक्ट को रद किया गया था। लेकिन हमारे लिए हाइड्रोपावर सबसे अहम है और ऐसे में किसी भी कीमत पर इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया जाएगा।' ओली के मुताबिक नेपाल को सख्त से सख्त हाइड्रोपावर डेवलप करने की जरूरत है और यह मंहगे दामों पर आयात हो रहे पेट्रोलियम का विकल्प होगा जोकि ज्यादातर भारत से आता है। ईधन की मांग नेपाल में पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा हो गई है।
नेपाल के साथ सख्त होंगे पीएम मोदी
इस वर्ष अक्टूबर में पीएम मोदी नेपाल के शंखुवाशबा जिले में 900 मेगावॉट वाले प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर सकते हैं। 1.5 बिलियन डॉलर के लागत वाला यह प्रोजेक्ट भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी अहम है। सूत्रों के अनुसार ओली के साथ आए 53 सदस्यों वाले प्रतिनिधिमंडल को भारत में रेड कारपेट वेलकम दिया जाएगा लेकिन साथ ही ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में भारत की चिंताओं पर भी एक सख्त संदेश दिया जाएगा।
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