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बिहार के प्रशासन को पटरी पर वापस लाना बहुत बड़ी चुनौती है।

नीतीश कुमार को इस्तीफा देने के बाद जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी उससे यह साफ़ हो गया है कि सबकुछ बहुत पहले से चल रहा था।

बिहार के प्रशासन को पटरी पर वापस लाना बहुत बड़ी चुनौती है।

नई दिल्ली : नीतीश कुमार को इस्तीफा देने के बाद जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी उससे यह साफ़ हो गया है कि सबकुछ बहुत पहले से चल रहा था। पिछले कुछ समय से जिस तरह से नीतीश कुमार लालू और उनके बेटों को लेकर नाराज चल रहे थे। ऐसे में जिस तरह से नीतीश और पीएम मोदी के बीच राजनीतिक समीकरण बने उसने महागठबंधन को ध्वस्त कर दिया ।बिहार की राजनीति में आए हुए बदलाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है।

बिहार में एनडीए की सरकार आने के बाद अब बिहार को केंद्र सरकार की ओर से काफी तवज्जो मिलेगी। आपको बता दे कि जब बिहार को विशेष राज्य घोषित किए जाने की मांग होगी तो बिहार काफी चर्चा में रहेगा। वहीं अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि क्या जदयू केंद्र सरकार का हिस्सा बनेगा। लेकिन अभी बिहार के प्रशासन को पटरी पर वापस लाना बड़ी चुनौती है।

भाजपा और जदयू के केंद्रीय नेता का कहना है कि नीतीश कुमार ने बुधवार को पीएम मोदी को रात 8.30 बजे फोन किया था और उन्हें शुक्रिया कहा था। नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को इस्तीफा देने के बाद पीएम मोदी के ट्वीट के जवाब में यह फोन किया था। पीएम मोदी ने ट्वीट करके नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार की लड़ाई में साथ आने के लिए मुबारकबाद भी दी थी।इस फोन कॉल की बात करे तो हमें नवंबर 2016 के उस फोन कॉल को याद करना चाहिए जब पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को फोन करके उन्हें नोटबंदी का समर्थन करने के लिए शुक्रिया कहा था। केंद्र में वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दोनों ही नेता विकास की बात करते हैं, यह पहली बार है कि पिछले 20 साल में राज्य और केंद्र में एक ही गठबंधन की सरकार है, इससे साफ है कि प्रदेश का विकास तेज होगा।

जदयू के वरिष्ठ नेता का कहना है कि जदयू और राजद के बीच सबके कुछ सही नहीं चल रहा था, दोनों ही दलों के बीच स्थितियां काफी खराब हो चुकी थी। लालू के दोनों बेटों के हाथ में आठ मंत्रालय थे, लालू यादव पुलिस स्टेशन के इंचार्ज से उन्हें मिलने के लिए कहने लगे थे। यह कुछ ऐसी बाते हैं जिसे लोग भाजपा-जदयू के समय भूल गए थे। इससे साफ है कि लालू का परिवार प्रदेश में एक समानांतर सरकार चलाना चाहते थे। नोटबंदी के बाद से ही नीतीश कुमार बेनामी संपत्ति पर हमला करने की बात कर रहे हैं और उन्होंने यह बात तब कही जब लालू के बेटे उनके बगल में बैठे रहते थे। उन्हें इस बात का अंदाजा था कि वह पीएम मोदी का साथ खो देंगे अगर वह भ्रष्टाचार के साथ खड़े रहते हैं। उनका कहना है कि नीतीश कुमार खुद को लालू के परिवार के बीच जकड़ते हुए देख रहे थे। ऐसे में जिस तरह से लालू के परिवार पर तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगे उसके बाद नीतीश ने इस गठबंधन से बाहर जाने का फैसला लिया।

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