नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच बीते दो महीने से डोकलाम में लगातार चल रही विवाद को लेकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि भारत और चीन जंग लड़कर एक-दूसरे को नहीं हरा सकते क्योंकि दोनो ही देश बड़ी सैन्य शक्तियां हैं और दोनों को अच्छे पड़ोसी बनकर रहना होगा। उन्होंने ये भी कहा कि दोनों देशो कों हिंदी-चीनी भाई भाई के नारे को याद करने और उसी के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। सोमवार को दलाई लामा ने कहा कि 1951 में तिब्बत में शांति के लिए चीन के साथ 17 मुद्दों पर एग्रीमेंट हुआ था। उन्होंने कहा कि आज चीन बौद्ध धर्म को मानने वाला सबसे बड़ा देश बन रहा है, ऐसे में भारत को चीन में बौद्ध धर्म के लोगों के लिए तीर्थयात्राएं शुरू करनी चाहिएं। दलाई लामा ने कहा कि चीन में बौद्ध धर्म को मानने वाले असल में भारतीय बौद्ध धर्म की लाइन पर ही तो चल रहे हैं, ये वही धर्म है जो नालंदा और संस्कृत से निकला हुआ है। दलाई ने कहा कि भारत चीन के लिए तीर्थयात्रा का केंद्र हो सकता है। वहां से लोग बोधगया आएंगे और इस तरह भारत के साथ रिश्ते बदलेंगे। दलाई लामा ने कहा कि सभी को समझना चाहिए कि जंग किसी मसले का हल नहीं और उससे कोई रास्ता नहीं निकलेगा।
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