बसपा सुप्रीमो मायावती के शासनकाल में कई मूर्तियां और स्मारक बनाए गए थे, जिसके संरक्षण का मुद्दा हमेशा से ही उठता रहा है, लेकिन अब योगी सरकार ने मायावती के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। सूत्रों की मानें तो नए वर्ष 21 और 22 फरवरी को लखनऊ मे होने वाले इंवेस्टमेंट मीट के लिए सभी पार्कों और मूर्तियों को चमकाने का आदेश दिया गया है। सभी अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए गए हैं कि वह इन मूर्तियों व स्मारकों को चमकाएं जिससे कि शहर में दुनियाभर से आने वाले निवेशकों पर लखनऊ की अच्छी छवि बने।
मायावती ने दी थी खुली धमकी
आपको बता दे कि मायावती ने अखिलेश यादव के शासनकाल में 2012-2017 के बीच कई पत्र लिखे जिसमे उन्होंने इन स्मारकों को संरक्षित करने की अपील की, लेकिन अखिलेश यादव ने इन अपीलों पर ध्यान नहीं दिया। मायावती ने खुले तौर पर उन्हे धमकी दी थी कि मूर्तियों की अनदेखी का बहुजन समाज उन्हे सबक सिखाएगा। लेकिन अखिलेश सरकार के जाने के बाद आखिरकार योगी सरकार ने मायावती की इस अपील को स्वीकार कर लिया है।
राजनीतिक मायने
माना जा रहा है कि योगी सरकार के इस फैसले के पीछे सियासी वजह है, जिस तरह से गुजरात चुनाव में एनसीपी और बसपा ने मिलकर कांग्रेस को 10 सीटों का नुकसान पहुंचाया, उसके बाद भाजपा दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुट गई है। लिहाजा योगी सरकार उत्तर प्रदेश में इन मूर्तियों व स्मारकों को सुरक्षा देकर दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। योगी सरकार के फैसले के पीछे एक वजह यह भी लगाई जा रही है कि जिस तरह से बसपा ने कांग्रेस को गुजरात में नुकसान पहुंचाया है उसका भाजपा मायावती को तोहफा देना चाहती है।
45000 हजार करोड़ खर्च हुए थे
आपको बता दें कि 2002-2007 के बीच उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार ने गुलाबी पत्थरों से स्मारक और मूर्तियों को बनवाने में 45000 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसको लेकर उनपर तमाम दलों ने जमकर निशाना साधा था। समाजवादी पार्टी, भाजपा सहित तकरीबन हर दल ने इस खर्च को लेकर मायावती पर निशाना साधा था। यहां तक कि एनजीटी ने भी नोएडा में बनाए जा रहे है पार्क पर आपत्ति जताते हुए इसे पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करार दिया था।
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