नई दिल्ली: आधार कार्ड को लोगों के बीच लाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि लोगों को सुविधा देना, लेकिन अब यह सुविधा लोगों के लिए मुश्किल का सबब बन गई है। नीरो देवी जिनकी उम्र 62 वर्ष है और वह देहरादून में रहती है, उन्हें अपनी ही पेंशन निकालने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। वह कहती हैं कि मेरी पेंशन 1000 रुपए हैं जोकि मेरे बेटे की विकलांगता के लिए मिलती है, मेरा बेटा राजकुमार जिसकी उम्र 30 वर्ष है वह 60 फीसदी विकलांग है और वह हमेशा बिस्तर पर पड़े रहने को मजबूर है, वह ना तो बोल सकता है और ना ही चल सकता है।
नीरो देवी कहती हैं कि हम हर महीने मिलने वाली 1000 रुपए की राशि पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं जोकि मेरा बेटा सरकार से पा रहा था। लेकिन अक्टूबर माह में इसे रोक दिया गया है क्योंकि हमारे पास आधार कार्ड नहीं है। हमने की बार कोशिश की लेकिन मशीन उसका फिंगरप्रिंट नहीं ले सकी और ना ही उसकी आंख को स्कैन कर सकी। उनका कहना है कि मैं कितनी बार अपने बेटे को लेकर आधार सेंटर जाउं, कई बार तो वह हिंसक हो जाता है जब वहां उसकी तस्वीर खींची जाती है, मैं नहीं चाहती हूं कि उसे बार-बार इन सब मुसीबतों का सामना करना पड़े।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 53000 विकलांगों, विधवा और वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन को रोक दिया गया है, इस पेंशन को अक्टूबर 2016 के बाद से रोका गया है जबसे आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है। इन लोगों की पेंशन को आधार कार्ड नहीं देने की वजह से रोका गया है। दस्तावेजों के अनुसार 59081 विकलांगों का उत्तराखंड में पेंशन को रोक दिया गया है, जिसमे से 5424 लोगों के पास पिछले वर्ष अक्टूबर माह से एक भी पैसा नहीं है। जबकि 36060 वरिष्ठ नागरिकों को पिछले साल से आधार कार्ड नहीं होने की वजह से एक भी रुपए नहीं मिले हैं।
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