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अब पेट्रोल-डीजल की नहीं पड़ेगी जरूरत, पीएम नरेंद्र मोदी ने किया नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान
नई दिल्ली: आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए अपने भाषण में भारत सरकार की कई उपलब्धियों को गिनाया और नए प्लान की जानकारी भी दी। इस दौरान पीएम मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की, जिसके जरिए ग्रीन हाइड्रोजन में भारत को ग्लोबल हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले भी पीएम मोदी इसका जिक्र कर चुके हैं और उन्होंने कहा था कि फ्यूचर फ्यूल ग्रीन एनर्जी, हमारी एनर्जी में आत्मनिर्भरता के लिए बहुत जरूरी है।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने बताया कि अब एथेनॉल, ईवी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं और इस दशक तक रिन्यूएबल एनर्जी से 450 GW बिजली बनाएंगे। पीएम मोदी का कहना है कि ये ऊर्जा के क्षेत्र में नई प्रगति भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। भारत सरकार ने देश में हाइड्रोजन रोडमैप तैयार करने के लिए हाल ही में केंद्रीय बजट 2021 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का जिक्र किया था। इस मिशन के तहत ब्लू हाइड्रोजन, हाइड्रोजन सीएनजी, एच-सीएनजी और ग्रीन हाइड्रोजन पर काम किया जा रहा है।
फ्यूल के रूप में होगा हाईड्रोजन का इस्तेमाल
आपको बता दें कि हाईटेक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हाइड्रोजन को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस में मिलाया जाएगा और उसका इस्तेमाल परिवहन ईंधन के रूप में तथा तेल शोधन से जुड़ी औद्योगिकी इकाइयों में किया जाएगा। हाइड्रोजन से बने इस फ्यूल को पैदा करने का मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने और प्रदूषण में कमी लाने पर है। भारत अपनी ईंधन खपत का एक तिहाई हिस्सा आयात करता है, जिससे सरकारी खजाने पर बड़ा दबाव बनता है। जीवाश्म ईंधन जैसे कि पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए हाईड्रोजन गैस सही विकल्प साबित हो सकता है।
बता दें कि हाइड्रोजन सस्ते परिवहन के लिए टिकाऊ विकल्प एसएटीएटी के अंतर्गत कंप्रेस्ड बायोगैस को बढ़ावा देने, गैस आधारित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने या वेस्ट टू एनर्जी जैसी मंत्रालय की अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी मजबूती देने में सक्षम है। हाइड्रोजन का इस्तेमाल परिवहन क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। इसकी डीकार्बोनाइजिंग एजेंट के रूप में इस्तेमाल से जो इकोसिस्टम विकसित होगा वह रसायन उद्योग से लेकर इस्पात, लौह, उर्वरक और परिशोधन, परिवहन, ऊष्मा तथा ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयोगी होगा।
बता दें कि भारत में अभी हाइड्रोजन गैस बनाने के लिए दो तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। पहला, पानी का इलेक्ट्रोलिसिस करके हाइड्रोजन को अलग किया जाता है। इसमें पानी ही मुख्य स्रोत है। दूसरा, प्राकृतिक गैस को तोड़ा जाता है जिससे हाईड्रोजन और कार्बन अलग हो जाता है। इससे दो तरह के फायदे हैं। हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर लिया जाएगा, जबकि कार्बन का प्रयोग स्पेस, एसोस्पेस, ऑटो, पोत निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे काम में होगा। ऐसे में पानी को भी फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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