
अहमदाबाद। सरदार वल्लभ भाई पटेल की की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का 31 अक्टूबर को उनकी जयंती के अवसर पर उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। इस प्रतिमा का नाम है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। यह मूर्ति करीब तीन साल में बनकर तैयार हुई है। सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया।
सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए का खर्च आया है। जिसमें 1,347 प्रतिमा निर्माण पर खर्च हुआ है जबकि जबकि 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये हैं। इसके अलावा 657 करोड़ रुपए निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अगले 15 साल तक प्रतिमा के रखरखाव के लिए खर्च किए जाएंगे। इन सबके अलावा 83 करोड रुपए की लागत से पुल का निर्माण किया गया है।
19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ निर्माण कार्य -
ज्ञात हो कि सरदार पटेल की इस दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को बनाने का कार्य 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था। इसको तैयार करने में 33 महीने लगे हैं। इस मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। जहां ये प्रतिमा बनी है वहां से नर्मदा बांध 3.5 किमी दूरी पर है। इस प्रतिमा को बनाने में वहां के स्थानीय लोगों ने 135 टन लोहे दान मे दिए हैं। एक 52 कमरे वाला 3 सितारा होटल, सभागार, प्रकाश और ध्वनि शो के साथ सरदार पटेल का एक संग्रहालय भी बनाया गया है।
"स्टेचू ऑफ़ यूनिटी" दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का दावा -
सरदार पटेल की इस प्रतिमा को लेकर दावा है कि यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची प्रतिमा होने का रिकॉर्ड था। मगर सरदार वल्लभ पटेल की प्रतिमा ने इस चीन में बनी मूर्ति को दूसरे स्थान पर कर दिया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का आकार न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुना है।
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