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बिना शादी प्रेग्नेंट होने की इतनी बड़ी सज़ा!

एक ऐसी ही महिला की दर्दभरी दास्तान जिन्होंने ज़िंदगी की आस छोड़ दी थी

बिना शादी प्रेग्नेंट होने की इतनी बड़ी  सज़ा!

युगांडा में अविवाहित लड़कियों के प्रेग्नेंट होने पर उन्हें मरने के लिए एक वीराने टापू पर छोड़ देने का रिवाज़ था इनमें से कुछ ही क़िस्मत वाली होती थीं जिन्हें बचा लिया जाता था | इन्हीं बचाई गई लड़कियों में से एक हैं माउदा कितारागाबिर्वे जो 12 साल की उम्र में गर्भवती हुईं और उन्हें टापू पर छोड़ दिया गया |इस टापू को अकाम्पीन या पनिशमेंट लैंड कहा जाता है. वो बताती हैं "जब मेरे परिवार को पता चला तो मुझे एक नाव में बिठाकर अकाम्पीन ले गए मैंने वहां बिना भोजन-पानी के चार रातें बिताईं."

उन्होंने बताया कि वहां ठंड थी और मौत होना तय लग रहा था लेकिन पांचवें दिन वहां एक मछुआरा पहुंच गया और वो उन्हें अपने घर ले गया | पहले उन्हें संदेह हुआ लेकिन मछुआरे ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो उन्हें पत्नी की तरह रखेगा वो इस पनिशमेंट लैंड से सटे लेक बुनयोन्यी से नाव से 10 मिनट की दूरी पर स्थित गांव काशुंग्येरा में रहती हैं माउदा के पोते और टूर गाइड टाइसन नामवेसिगा ने उन्हें बताया कि मैं रुकिगा भाषा में बात कर सकती हूं उनके गिर चुके दांतों वाले चेहरे पर मुस्कान उभरी उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक होगी लेकिन उनके परिवार का मानना है कि उनकी उम्र 106 वर्ष है

बैकिगा समाज की परंपरा के अनुसार लड़की शादी के बाद ही प्रेग्नेंट हो सकती थी कुंवारी लड़की की शादी के एवज में मवेशियों के रूप में दहेज़ मिलता है अविवाहित गर्भवती लड़की को परिवार के लिए सिर्फ़ शर्मिंदगी का कारण ही नहीं माना जाता था बल्कि आर्थिक फ़ायदे के छिन जाने के रूप में भी देखा जाता था इसीलिए परिवार इन लड़कियों को मरने के लिए टापू पर छोड़ दिया करते थे ये रिवाज़ 19वीं शताब्दी में मिशनरी और उपनिवेशवादियों के पहुंचने से पहले तक चलता रहा और तब बंद हुआ जब इन्हें ग़ैरक़ानूनी बना दिया गयाउस दौरान अधिकांश लड़कियां तैरना नहीं जानती थीं इसलिए ऐसी लड़कियों के सामने दो रास्ते बचते थे एक तो पानी कूद कर मर जाएं या ठंड और भूख से मर जाएं|

माउदा बताती हैं "उस समय मैं 12 साल की रही होऊंगी झील के बीचोबीच किसी टापू पर अकेले छोड़ दिए जाने से किसी को भी डर लगेगा" युगांडा के दूसरे हिस्से और आज के रुकुंगिरी ज़िले में ऐसी लड़कियों को किसीज़ी फ़ॉल्स से नीचे फ़ेंक देने का रिवाज़ था यहां से कोई जीवित नहीं बचा इस टापू से लड़कियों के साथ शादी करने का मतलब था दहेज़ मुक्त पत्नी पाना जब माउदा मछुआरे साथ गांव पहुंचीं तो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गईं दशकों से वो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही हैं उनके घर पर नियमित रूप से टूरिस्टों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन सबसे दुखद बात ये हुई कि उस प्रग्नेंसी के दौरान हुई मारपीट में उनका गर्भ गिर गया|

वो कहती हैं कि उनकी तीन बेटियां हैं लेकिन अगर इनमें से कोई शादी के पहले प्रेग्नेंट होती है वो उनके साथ ऐसा वर्ताव नहीं करेंगी इन लड़कियों को सज़ा देने को स्थानीय भाषा में ओकुहीना कहते हैं और इसी नाम से इस टापू का स्थानीय नाम अकाम्पीन पड़ा. माउदा बताती हैं "टापू पर दूसरी लड़कियों के ले जाने के बारे में मैंने सुना है लेकिन उनमें से किसी के बारे में नहीं जानती." जिस शख़्स ने उन्हें इस रास्ते पर डाला उसे दोबारा कभी नहीं देखा गया और कई सालों बाद उन्होंने उसकी मौत की ख़बर सुनी उनके पति की 2001 मौत हो गई. उनके बारे में वो कहती हैं "वो मुझे प्यार करता था उसने वाक़ई मेरी देखभाल की" उनके अनुसार "हमारे छह बच्चे हुए और वो अपनी मौत तक इसी घर में मेरे साथ रहे "

हालांकि इसमें दशकों लग गए लेकिन आख़िरकार अपने परिवार से उनका मेल-मिलाप हो गया है. वो मुस्कराते हुए कहती हैं "ईसाई बनने के बाद मैंने सबको माफ़ कर दिया उस भाई को भी जो मुझे टापू तक छोड़ने गया था. मैं अपने परिवार से मिलने जाऊंगी." माना जाता है कि माउदा उस टापू पर छोड़ी जाने वाली अंतिम लड़की थीं क्योंकि ईसाइयत आने के बाद ये रिवाज़ कम हो गया और कड़े क़ानूनों के बाद इस पर पाबंदी लग गई. अभी भी अविवाहित प्रेग्नेंट महिलाओं को सालों तक अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता|

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