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क्या है e-RUPI, जिससे बिना इंटरनेट के मोबाइल से पैसा भेज या प्राप्त कर सकते हैं, जानिए कैसे काम करता है e-RUPI

ये डिजिटल तरीके से पेमेंट करने का एक तरीका है। ये वाउचर की शक्ल में मिलेंगे। आसान भाषा में कहें तो ये प्रीपेड गिफ्ट कार्ड है। जिन्हें रिसीव करने वाला शख्स अपनी सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है।

 क्या है e-RUPI, जिससे बिना इंटरनेट के मोबाइल से पैसा भेज या प्राप्त कर सकते हैं, जानिए कैसे काम करता है e-RUPI

क्या है e-RUPI, जिससे बिना इंटरनेट के मोबाइल से पैसा भेज या प्राप्त कर सकते हैं, जानिए कैसे काम करता है e-RUPI 

देश मे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए आज 2 अगस्त को पीएम मोदी ने पेमेंट करने के एक डिजिटल तरीके E-RUPI को लॉन्च किया है।

आइये जानते हैं कि क्या है e-RUPI और कैसे काम करता है? 

क्या है e-RUPI, कैसे काम करता है?

ये डिजिटल तरीके से पेमेंट करने का एक तरीका है। ये वाउचर की शक्ल में मिलेंगे। आसान भाषा में कहें तो ये प्रीपेड गिफ्ट कार्ड है। जिन्हें रिसीव करने वाला शख्स अपनी सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है। खास बात यह है कि इसके लिए इंटरनेट और बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसको बेहतर तरीके से समझने के लिए उदाहरण से समझें- माना कि सरकार इलाज करवाने के लिए गरीब लोगों को पैसे देना चाहती है। इसका एक तरीका तो ये है कि वो सबके अकाउंट में कैश ट्रांसफर कर दे। अब दिक्कत ये है कि बहुत से लोगों के पास बैंक अकाउंट ही नहीं है। फिर ये भी सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा कि जो पैसा भेजा गया, उससे इलाज ही करवाया गया है या कुछ और ऐसे में ये e-RUPI काम आएगा। जिससे इलाज के पैसो से सिर्फ इलाज ही हो बाकी फालतू कामो मे पैसे बर्बाद न हो। 

इसमें एक SMS या क्यूआर कोड की शक्ल में e-RUPI भेजे जा सकते हैं। ये इस्तेमाल और रिसीव करने वाले के हिसाब से यूनीक होंगे। मतलब इसका इस्तेमाल जिसे भेजा गया है, वह शख्स तय काम के लिए ही कर सकेगा. जैसे वैक्सीन के लिए भेजा गया e-RUPI वाउचर जिसके मोबाइल नंबर पर आया है, वही उसका वैक्सीन लगवाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इस वाउचर के इस्तेमाल के बाद इश्यू करने वाले ऑर्गेनाइजेशन को भी नोटिफिकेशन जाएगा कि वाउचर का प्रयोग हो गया है।

कौन इश्यू करेगा वाउचर? 

इस सिस्टम को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए चलाएगा। इसके लिए बैंकों से टाई अप किया गया है। अगर किसी कॉर्पोरेट या सरकारी एजेंसी को e-RUPI वाउचर जारी करने हैं तो उन्हें इन पार्टनर बैंकों से संपर्क करना होगा। इसमें प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि जो बैंक e-RUPI इश्यू करेंगे, जरूरी नहीं कि वो इसे स्वीकार भी करें। मान लीजिए अगर किसी को A बैंक से जारी किया e-RUPI वाउचर मिला तो जरूरी नहीं है कि वह बैंक उसे कैश करने की सुविधा भी दे। जिस शख्स के पास e-RUPI वाउचर भेजने हैं, उसकी जानकारी मोबाइल नंबर के साथ बैंक को देनी होगी। बैंक मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करेगा और ग्राहक को चिन्हित करके उसके मोबाइल नंबर पर e-RUPI वाउचर भेज देगा।

किन बैंकों में चलेगा e-RUPI? 

e-RUPI पर बैंक दो तरह से काम करेंगे। एक वो बैंक जो e-RUPI वाउचर जारी करेंगे। दूसरे वो जो इन्हें स्वीकार करेंगे कुछ बैंक ऐसे भी हैं, जो दोनों काम करते हैं। फिलहाल 11 बैंक ऐसे हैं जो e-RUPI को सपोर्ट करेंगे। अच्छी बात ये है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, HDFC बैंक, PNB एक्सिस बैंक और बैक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंक इस वाउचर को इश्यू भी करते हैं और स्वीकार भी। कैनरा बैंक, इंड्सइंड बैंक, इंडियन बैंक, कोटक महिंद्रा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सिर्फ e-RUPI वाउचर इश्यू करते हैं, स्वीकार नहीं करते। देश में e-RUPI को इश्यू करने और स्वीकार करने के बैंक निर्धारित कर दिए गए हैं। 

क्या कोई भी भेज सकता है पैसे?

आम लोगों को e-RUPI भेजने के झंझट में पड़ने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो जब किसी को पैसे भेजते हैं तो जांच-पड़ताल कर ही लेते हैं। असल दिक्कत आती है एजेंसियों को वेलफेयर स्कीम के पैसे भेजने में। इसमें यह सुनिश्चित करना मुश्किल होता है कि जिस लाभार्थी को जिस काम के लिए पैसा भेजा गया है, वह उस तक पहुंचा या नहीं। और पहुंचा भी तो उसने उसी काम के लिए उसका इस्तेमाल किया या नहीं। 

सरकार के लिए e-RUPI का ये सिस्टम बहुत उपयोगी साबित होगा 

सरकार के लिए e-RUPI का ये सिस्टम बहुत कारगर साबित हो सकता है। दवाई, मां औऱ बच्चे की वेलफेयर स्कीम, टीबी इलाज के कार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना जैसी स्कीमों में पैसा भेजना काफी आसान हो जाएगा। सरकार का ये भी कहना है कि इस प्लेटफॉर्म का फायदा प्राइवेट कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए कर सकती हैं। प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई मद में वाउचर आदि के जरिए पेमेंट करती हैं। मिसाल के तौर पर सोडेस्को फूड वाउचर। इनका इस्तेमाल कर्मचारी कहीं भी खाने-पीने के पेमेंट करने के लिए करते हैं।

आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में e-RUPI जैसे वाउचर का इस्तेमाल पहले से हो रहा है। अमेरिका में सरकार जरूरतमंद बच्चों के पैरेंट्स को पढ़ाई के लिए डिजिटल वाउचर इश्यू करती है. मतलब अगर फीस जमा करनी है तो उसका वाउचर सरकार भेज देती है। कॉपी-किताब और स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए अलग से वाउचर भेजा जाता है। जैसी जरूरत, उसके हिसाब से वाउचर उपलब्ध कराया जाता है। अमेरिका के अलावा कोलंबिया, चिली, स्वीडन, हॉन्ग कॉन्ग आदि देशों में भी इस तरह के स्कूल वाउचर जारी किए जाते हैं। अमेरिका के अलावा कोलंबिया,स्वीडन, हॉन्ग कॉन्ग, चिली आदि देशों में भी इस तरह के वाउचर का इस्तेमाल पहले से हो रहा है।

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