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भाजपा के हाथों से सीट निकलने का अंदेशा पहले से ही था : योगी आदित्यनाथ

भाजपा के हाथों से सीट निकलने का अंदेशा पहले से ही था : योगी आदित्यनाथ

भाजपा के हाथों से सीट निकलने का अंदेशा पहले से ही था : योगी आदित्यनाथ

 उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट भाजपा  29 साल से राज कर रही थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ के सीटे छोड़ते ही सीट भाजपा के हाथों से निकल गई। भाजपा के हाथों से सीट निकलने का अंदेशा योगी आदित्यनाथ को पहले से ही हो गया था। जिसके चलते वे यहां से इस्तीफा देने के बाद सीधे चुनाव लड़कर विधानसभा जाने के बजाए उन्होंने विधानपरिषद जाना अधिक सही समझा। पिछले साल जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद खुद योगी आदित्यननाथ ने अपनी इस इच्छा से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा दिया था कि वह उपचुनाव लड़ने की जगह सीधे उच्च सदन जाना पसंद करेंगे। तब योगी ने पार्टी नेतृत्व से साफ कहा था,'गोरखपुर से एक मुख्यमंत्री उपचुनाव हार चुके हैं। इस नाते वे उच्चसदन जाएंगे।' इसलिए उन्होंने विधान परिषद में जाना अधिक सही समझा।

त्रिभुवन नारायण सिंह मुख्यमंत्री बने
योगी आदित्यनाथ द्वारा जाहिर की गई आशंका बुधवार को सही साबित हुई। दरअसल 1969 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सरकार बनी और चंद्रभानु गुप्ता मुख्यमंत्री बने। एक साल के अंदर उन्होंने सीएम पद की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह चौधरी चरण सिंह सीएम बने लेकिन वह सात महीने ही टिक पाए। इसके बाद त्रिभुवन नारायण सिंह मुख्यमंत्री बने। त्रिभुवन नारायण सिंह तब देश के पहले ऐसे शक्स थे, जो विधानसभा के किसी भी सदन का सदस्य हुए बगैर मुख्यमंत्री बने थे। आपको बता दे कि 1952 और 1962 लोकसभा के मेंबर रह चुके वाराणसी निवासी त्रिभुवन ने 18, अक्टूबर 1970 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। त्रिभुवन नारायण सिंह को सीएम बनने के बाद राज्य विधानसभा में चुना जाना था। इसलिए योगी आदित्यनाथ के गुरु दिवंगत महंत अवैद्यनाथ ने गोरखपुर की अपनी जीती हुई मनीराम सीट छोड़ दी। मार्च 1971 में उपचुनाव हुआ। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी राम कृष्ण दि्वेदी के पक्ष में जनसभा की। इसका असर यह हुआ कि त्रिभुवन नारायण सिंह उपचुनाव हार गए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

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