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मोदी सरकार के 2 साल: कई योजनाएं रहीं अच्छी

दो साल पूर्व केंद्र में जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी थी, यह उम्मीद की जा रही थी कि देश की अर्थ व्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा और देश में औद्योगिक व कारोबारी माहौल दुरुस्त होगा जिससे रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे।

मोदी सरकार के 2 साल: कई योजनाएं रहीं अच्छी

दो साल पूर्व केंद्र में जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी थी, यह उम्मीद की जा रही थी कि देश की अर्थ व्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा और देश में औद्योगिक व कारोबारी माहौल दुरुस्त होगा जिससे रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। लेकिन चाह कर भी सरकार कई प्रमुख बदलाव लाने में असफल रही। विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में बदलाव की सरकार की हर कोशिशें अब तक नाकाम दिख रही हैं।

मोदी सरकार की लटकी ये योजनाएं

नहीं पास हुआ GST
इन दो सालों में सरकार न तो वस्तु सेवा कर (जी.एस.टी.) बिल संसद में ला सकी और न ही भूमि अधिग्रहण बिल ही पास करा सकी। आर्थिक क्षेत्र में बदलाव के लिए जी.एस.टी. को सबसे अहम बताया जा रहा है। लेकिन सरकार इस पर तमाम राज्यों के साथ एक राय नहीं बना पाई और संसद में भी विपक्ष को साधने में नाकाम रही है। जिसके चलते यह बिल अब तक संसद के पटल तक भी नहीं पहुंच सका है। जबकि जी.एस.टी. को इसी साल अप्रैल से लागू करने का लक्ष्य रखा गया था। अब सरकार को इंतजार है राज्यसभा में अपने अनुकूल माहौल बनने का, जो शायद जून-जुलाई तक मिलने की उम्मीद है। राज्यसभा में खाली हो रही करीब 47 सीटों पर पुनर्निर्वाचन के बाद सदन का अंकगणित बदलने वाला है। इससे उम्मीद की जा रही है कि मानसून सत्र में जी.एस.टी. बिल सदन में लाया जा सकता है।

मेक इन इंडिया नहीं ले पा रहा अपेक्षित स्वरूप 
प्रधानमंत्री का अति महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम अभी भी अपेक्षित स्वरूप नहीं ले पा रहा है। जमीन अधिग्रहण में होने वाली परेशानियों के मद्देनजर निवेशक भी कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। देसी निवेश के अलावा जमीन के चलते विदेशी निवेश भी प्रभावित हो रहा है। यह एक वजह भी है मेक इन इंडिया’ भी ठीक ढंग से जमीन पर नहीं उतर पा रही है। यही हाल आवासीय योजना और स्मार्ट सिटी का है।

भूमि अधिग्रहण बिल का उद्यमियों को नहीं मिल रहा फायदा
संसद में नाकाम होने पर भूमि अधिग्रहण बिल को केंद्र सरकार ने राज्यों के हवाले कर दिया लेकिन उसका फायदा जो उद्योगों और उद्यमियों को मिलना चाहिए था, नहीं मिल रहा। एस.ई.जैड. के कई प्रोजैक्ट जमीन नहीं मिलने की वजह से अटके पड़े हैं। सरकार की भी तमाम योजनाएं जमीन न मिल पाने से जमीन पर नहीं उतर पा रही हैं। जमीन अधिग्रहण में होने वाली परेशानियों के मद्देनजर निवेशक भी कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। देसी निवेश के अलावा जमीन के चलते विदेशी निवेश भी प्रभावित हो रहा है। यह एक वजह भी है मेक इन इंडिया’ भी ठीक ढंग से जमीन पर नहीं उतर पा रही है।

लेबर लॉ में बदलाव की कोशिशें भी रहीं नाकाम
इस साल के बजट में केंद्र सरकार ने 7.6 फीसदी जी.डी.पी. ग्रोथ, 1.1 फीसदी कृषि उत्पादन में वृद्धि, 7.3 फीसदी औद्योगिक, 9.2 फीसदी सर्विस सैक्टर में बढ़ौतरी की उम्मीद की है। फैक्ट्रियों और विभिन्न उद्योगों में काम कर रहे मजदूरों, श्रमिकों को बेहतर वेतन, पैंंशन और सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने को केंद्र सरकार श्रम कानून को बेहतर बनाना चाहती है लेकिन पिछले दो साल से विपक्ष के विरोधों के चलते उसकी मंशा पूरी नहीं हो पाई। जबकि केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय पिछले साल से ही श्रम कानून से जुड़े आधे दर्जन बिलों को संसद में लाने का जिक्र करते आ रहे हैं।


इन योजनाओं पर मिली सराहना

स्वच्छ भारत योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2 अक्तूबर को दिल्ली के एक पुलिस थाने में झाड़ू लगा कर ‘स्वच्छ भारत योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत ही खुले में शौच की प्रथा को खत्म करने की पहल की गई। जिसके तहत हर घर में शौचालय निर्माण कराने पर जोर दिया गया। इसमें सरकार की ओर से भी वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। इस योजना के परिणाम काफी अच्छे आए हैं। मीडिया रिपोर्ट और सरकारी आंकड़ों को देखें तो देशभर से शौचालय निर्माण के लिए करीब 60 लाख आवेदन आए। 24 लाख आवेदन पर काम किया जा रहा है। अब तक देशभर में 13 लाख से ज्यादा शौचालय निर्माण कराए जा चुके हैं। इसके अलावा सरकार एक लाख से ज्यादा सामुदायिक शौचालयों का भी निर्माण करवा रही है।

आधार कानून
यूनिक आईडैंटिफिकेशन नंबर (आधार) को मोदी सरकार ने वित्त विधेयक बना कर हाल ही में इसे कानूनी रूप दे दिया। इसके साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को भी आधार से जोड़ दिया।

स्किल इंडिया
मिशन मोड में शुरू की गई इस योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देना है। सरकार की योजना 2022 तक देश में 40.2 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार योग्य बनाना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने उद्यमियों से भी आगे आने की अपील की है। ताकि बाजार और उद्योग की जरूरतों को समझते हुए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाए।

उदय योजना
इस योजना के तहत देश के हर गांव तक बिजली मुहैया कराने की है। इस योजना में केंद्र सरकार को अच्छी उपलब्धि मिलती दिख रही है। हर रोज 10 से 15 गांवों का विद्युतीकरण किया जा रहा है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डी.बी.टी.)
 केंद्र सरकार की करीब 42 योजनाओं से मिलने वाले लाभ और सबसिडी को इस योजना के तहत अभ्यर्थी के खाते में सीधे भेजने की व्यवस्था दी गई है। यह योजना भी काफी कारगर साबित हुई है। इस योजना को आधार के साथ जोडऩे से कई गड़बडिय़ों को रोकने में भी मदद मिली है।

उज्ज्वला योजना
 इस योजना की शुरूआत इसी साल सरकार ने की है। गरीबी रेखा के नीचे वाले (बी.पी.एल.) परिवारों को सरकार सिंगल सिलैंडर एल.पी.जी. कनैक्शन मुफ्त मुहैया करा रही है। यह योजना पेड़ों का कटान रोकने और वायुमंडल को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में एक बेहतर पहल मानी जा रही है।

मेक इन इंडिया
इस योजना का मकसद देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अति महत्वाकांक्षी योजना है। अपने हर विदेश दौरे में प्रधानमंत्री इस योजना के तहत निवेश आकर्षित करने की पहल करते हैं। लेकिन अब तक कारोबारी और औद्योगिक माहौल नहीं बन पाने और भूमि अधिग्रहण तथा जी.एस.टी. जैसे विधेयक अटकने से यह योजना अपना सही रूप नहीं ले पा रही है। हालांकि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में संसद को बताया कि मेक इन इंडिया के तहत पिछले दो साल के भीतर विदेशी निवेश में 44 फीसदी का इजाफा हुआ है जो करीब 63 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्री आवास योजना
इस योजना को भी शुरू हुए एक साल का वक्त बीत चुका है। सरकार ने वर्ष 2022 तक देशभर में दो करोड़ सस्ते आवास बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए हर शहर में अफोर्डेबल हाऊसिंग प्रोजैक्ट लाने की कोशिश की जा रही है। ताकि आवास विहीन परिवारों को सस्ते और हर तरह की सुविधायुक्त आवास मुहैया कराए जा सकें। हालांकि इस योजना में भी कोई खास प्रगति अब तक नहीं हुई है। जमीनों के अधिग्रहण में दिक्कत और विकासकत्र्ताओंं की योजना में रुचि नहीं होने से योजना पर ज्यादा काम नहीं हो पाया है।

डिजिटल इंडिया
पिछले साल 1 जुलाई को लांच हुई इस योजना का मकसद लोगों को तकनीकी सुविधाएं और गांवों तक इंटरनैट की सुविधा मुहैया कराना है। इसके अलावा सरकार गवर्नैंस को भी डिजिटल तकनीकी से जोडऩे की कोशिश में है, ताकि ग्रामीण स्तर तक योजनाओं की ठीक से मॉनीटरिंग और क्रियान्वयन हो सके।  ब्लाक को तहसील से तहसील को, जिलों से और जिलों को, प्रदेश तथा प्रदेश को केंद्र से जोडऩे की इस योजना के लिए अभी बुनियादी संचरना  भी नहीं तैयार की जा सकी हैं।

स्मार्ट सिटी
स्मार्ट सिटी का कांसैप्ट सर्वसुविधायुक्त शहर बनाने का है, जिसमें एक ही परिसर में आवासीय सुविधा के साथ ही दफ्तर, स्कूल, चिकित्सालय समेत बाकी सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। परिवहन की विशेष व्यवस्था के साथ ही हर वक्त बिजली मुहैया रहे। इस योजना के तहत देश के 22 शहरों का चयन पहले फेज में किया गया है लेकिन अभी यह प्रारंभिक स्टेज पर ही है। योजना जमीन पर उतर नहीं सकी है।

जनधन योजना
इस योजना का मकसद सामान्य से सामान्य व्यक्ति को बैकिंग सुविधा से जोडऩा और सरकारी लाभ सीधे उनके खाते में मुहैया कराना है। 2014 में गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री ने इस योजना की घोषणा की थी। पिछले साल जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि देशभर में 17 करोड़ से भी ज्यादा बैंक अकाऊंट प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले जा चुके थे। एक हफ्ते में एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा बैंक खातें खोले जाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भारत सरकार के नाम दर्ज है।

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