
नई दिल्ली : दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंग रेप के बारे में तो सभी जानते ही है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में इस गैंग रेप के सभी दोषियों को मिली फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है। लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि निर्भया ने मरने से पहले दिल्ली पुलिस की इस अधिकारी से क्या कहा था।निर्भया गैंग रेप मामले में पीड़िता ने मरने से पहले दिल्ली पुलिस की अधिकारी छाया शर्मा से कहा था- जिन्होंने मेरे साथ ऐसा किया है उन्हें मत छोड़ना। उन्होंने बताया कि निर्भया ने कभी ऐसा नहीं जताया कि वह एक रेप पीड़िता है बल्कि उसका रवैया बहुत ही सकारात्मक था। निर्भया के बयानों को उसकी मौत के बाद डाइंग डिक्लेरेशन (मरने वाले का बयान) माना गया जिससे पुलिस को मदद मिली।छाया शर्मा ने बताया कि रेप करने वालों के दोष सिद्ध करने में सबसे बड़ा योगदान खुद निर्भया का है। उसने लगातार अपने हर बयान में गैंगरेप करने वालों के खिलाफ बयान दिया और आपबीती बताई। निर्भया ने सफदरगंज अस्पताल के डॉक्टरों और दो मजिस्ट्रेट को अपना बयान दिया। अपने तीनों ही बयानों में निर्भया ने उसके साथ हुई बर्बरता को बयां किया जिसने पुलिस की काफी मदद की और दोषियों को सजा दिलाई जा सकी।
पुलिस के सामने इन दोषियों को खोज निकालने में सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही थी कि गैंगरेप करने वालों को निर्भया पहचानती नहीं थी इसलिए वह उनके बारे में सीमित जानकारी ही दे सकी। छाया शर्मा कहती हैं कि यहां दोषियों को खोजने में उन्हें सबसे अधिक दिक्कत आई। पुलिस को यह केस जीरो से शुरू करना पड़ा था। पुलिस को पहला सुराग यह मिला था कि जिस बस में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ था उस बस में सीटों का रंग लाल था और उसके पर्दे पीले रंग के थे। उस बस को ढूंढ़ना भी काफी मुश्किल था। पुलिस ने करीब 300 बसों को चुना और फिर एक के बाद एक उनकी जांच-पड़ताल की। आपको बता दें कि इस केस में छाया शर्मा के साथ करीब 100 लोगों की टीम थी जिसमें महिला और पुरुष दोनों ही थे।पुलिस ने इस मामले में सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की लेकिन उन्हें इससे भी कुछ खास नहीं मिला। लेकिन तभी उन्हें एक सफेद रंग की बस पर यादव लिखा दिखा जिसने पुलिस की जांच को काफी तेज कर दिया। छाया शर्मा ने बताया कि इसके बाद हमने छानबीन की और एक के बाद एक इस मामले के दोषी सभी 6 लोगों को पकड़ लिया गया।
निर्भया पर हमले के महज 18 घंटे बाद ही पुलिस ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी कर ली। यह गिरफ्तारी बस के ड्राइवर राम सिंह की थी जिससे पूछताछ के बाद बाकी सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया। छाया शर्मा ने बताया कि उन्होंने महज 18 दिनों के अंदर ही चार्जशीट फाइल कर दी और इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई।दिसंबर 2012 में रात के समय अपने मित्र के साथ आ रही निर्भया एक बस में चढ़ी थी। उस बस में निर्भया के साथ 6 लोगों ने बर्बरता की और फिर उसे चलती बस से ही नीचे फेंक दिया। दोषियों ने निर्भया के शरीर में लोहे की रॉड घुसा दी थी जिसमें लगे जंग की वजह से उसके शरीर के अधिकतर अंग खराब हो गए थे यहां तक कि उसकी आंतें भी बाहर आ गई थीं। दोषियों ने निर्भया के मित्र को भी मार-मार कर अधमरा कर दिया था और निर्भया के साथ ही फेंक दिया था। उसके बाद उन्हें बस से कुचलने की भी कोशिश की गई। 13 दिन बाद सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई।
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