
बजट सत्र नजदीक आते ही टैक्सपेयर्स की धुकधुकी बढ़ने लगी है। एक ओर लोग उम्मीद कर कर रहे हैं कि सरकार टैक्स में कोई छूट देगी, जबकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को छूट देने की बजाय टैक्स का दायरा बढ़ाना चाहिए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि देश की इतनी बड़ी आबादी के महज 3 फीसदी लोग ही इनकम टैक्स देते हैं।
वर्तमान टैक्स ढांचे के मुताबिक जो वेतनभोगी कर्मी 21000 या उससे ज्यादा कमाते हैं उन्हें अपनी इनकम पर टैक्स देना होता है, लेकिन कई छोटे बिजनसमैन, प्रफेशनल्स (जैसे- डॉक्टर्स, इंजिनियर्स) और बड़े किसान टैक्स नहीं देते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टैक्स से बचाव का फायदा सिर्फ छोटे बिजनस वालों तक सीमित नहीं है। अपनी वार्षिक आय एक करोड़ तक घोषित करने वाले देश में करीब 50,000 लोग हैं। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा, 'देश में टैक्सपेयर्स की संख्या आश्चर्यजनक रूप से बेहद कम है, आर्थिक सुधारों के बाद देश में जो तरक्की हुई उसका असर टैक्सपेयर्स की संख्या में इजाफे के तौर पर नहीं दिखा। हमें सिस्टम को सुधारना होगा और टैक्स के दायरे को बढ़ाना होगा, जिससे टैक्स से बचने वाली बड़ी जनसंख्या को टैक्स के दायरे में लाया जा सके।' सिन्हा के मुताबिक, सरकार ने हालांकि कैश ट्रांजैक्शन को लेकर जो नए नियम बनाए हैं, उसके जरिए 30-40 लाख नए टैक्सपेयर्स जुड़ सकते हैं। साथ ही लोगों को टैक्स के दायरे में लाने को लेकर जीएसटी इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। उन्होंने कहा, 'अगर देश में जीएसटी लागू होता है, तो इसका फायदा देश में अलग से सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स और एक्साइज़ ड्यूटी जैसे अलग-अलग कई सारे टैक्स नहीं होंगे। देश में सिर्फ दो टैक्स होंगे, एक तो जीएसटी और दूसरा इनकम टैक्स। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति एक्साइज़ ड्यूटी या सर्विस टैक्स तो दे रहा है, लेकिन इनकम टैक्स नहीं दे रहा है, तो ऐसी स्थिति में हम उसे इनकम टैक्स के दायरे में ला सकते हैं।'
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