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सीरिया पर हमले के बाद , ट्रम्प ने लगाए सेंक्शंस

पाम बीच (फ्लोरिडा) : अमेरिका ने 7 अप्रैल को मेडिटेरेनियन सी में 59 टॉमहॉक मिसाइलें दागी थीं। यूएस ने सीरिया के अल-शयरात एयरबेस को निशाना बनाया था। सीरिया पर हमले के बाद अमेरिका ने उस पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है।

सीरिया पर हमले के बाद , ट्रम्प ने लगाए सेंक्शंस

इसको लेकर ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने सीरिया पर कई सेंक्शंस भी लगा दिए। और यह भी सुचना देने को कहा कि हुए केमिकल अटैक में रूस का हाथ था या नहीं। ज्यादातर देशों ने सीरिया पर कार्रवाई को लेकर अमेरिका का समर्थन किया है। जिसमे अमेरिकी हमले में 9 लोग मारे गए थे। इसके बाद रूस ने शनिवार को कहा था कि अब उसकी तरफ से अमेरिका से रिलेशन खत्म हो गया । यूएन में यूएस एम्बेसडर निक्की हेली ने कहा "अमेरिका ने हमलों नियमों के तहत ही किया है। हम और भी हमले के लिए तैयार हैं।" ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया जर्मनी तुर्की जॉर्डन सऊदी अरब इटली जापान नीदरलैंड्स न्यूजीलैंड्स इजरायल स्पेन यूएस की कार्रवाई के सपोर्ट में हैं। ये सभी असद के खिलाफ हैं। रूस ईरान चीन सीरिया की असद सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं।
क्या है सीरिया का संकट?
2011 में हुई एक छोटी-सी घटना ने सीरिया में सिविल वॉर का रूप ले लिया। कुछ मुट्ठीभर बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया के लिए अब तक का सबसे बड़ा ह्यूमन क्राइसिस बन चुका है।
जुलाई 2011 में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सीरियन आर्मी के अफसरों के एक ग्रुप ने सेना छोड़ फ्री सीरियन आर्मी का गठन किया।
दिसंबर 2011 से लेकर 2012 तक जगह-जगह सुसाइड बम ब्लास्ट हुए। इसके बाद अल कायदा के लीडर अयमान अल जवाहिरी ने सीरियाई लोगों से जिहाद के लिए आगे आने की अपील की। बीते दो साल में आईएस ने भी अपने आतंकी भेजने शुरू कर दिए।
2013 में पहली बार सीरिया पर सारिन नाम के जहरीले नर्व एजेंट छोड़ने का आरोप लगा। तब यूएन समेत कुछ देशों ने बराक ओबामा से वहां हमले करने की बात कही थी।
2015 में रूस ने असद को सपोर्ट कर दिया। हालांकि रूस और अमेरिका कहते रहे हैं कि उनका एक ही दुश्मन है- आईएसआईएस।
असद के लिए सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) को रूस और ईरान सपोर्ट कर रहे हैं। वहीं अमेरिका पर आरोप है कि वह असद के खिलाफ विद्रोहियों की मदद कर रहा है।
प्रेसिडेंट बशर अल-असद के खिलाफ शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों और संघर्ष में अब तक करीब 4 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।


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