Fake covid Vaccination: हजारों लोगों को लगा फर्जी कोरोना टीका, सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी, जाने क्या है।
मुम्बई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हजारों लोगों को फर्जी टीका लगाने का मामला सामने आया है। राज्य सरकार ने आज गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) को खुद इसकी जानकारी दी। उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Government) ने हाईकोर्ट को बताया कि मुंबई में अभी तक दो हजार से अधिक लोग फर्जी कोविड-19 वैक्सीनेशन कैंप में जाकर टीका लगवा चुकें हैं। इस में मामले में अभी तक पांच एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, और चार सौ गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
सरकार ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ को बताया कि मुंबई में अभी तक कम से कम चार फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन किया जा चुका है। इस संबंध में आरोपियों की पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।
सरकार ने बताया ने अभी तक कम से कम 2,053 लोग फर्जी वैक्सीनेशन सेंटर का शिकार हो चुके हैं। इनमें से कुछ आरोपियों की पहचान भी कर ली गई है। वहीं हाईकोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए कहा कि सरकार और निगम अधिकारियों को पीड़ितों में फर्जी टीके के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जाँच करने के आदेश दियें है।
कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता है कि फर्जी टीका लगवाने वाले लोगों के साथ क्या हो रहा है।फर्जी टीके की जगह उन्हें क्या लगाया गया और इसका क्या असर पड़ा?
हाईकोर्ट ने लगाई फटकार-
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि निजी आवासीय सोसाइटियों, दफ्तरों आदि स्थानों पर वैक्सीनेशन सेंटर लगाने के संबंध में स्पेशल गाइडलाइन तय की गई है।ऐसा तब है जब कोर्ट इस महीने की शुरुआत में इस संबंध में आदेश दे चुकी है।
वहीं कोर्ट में बीएमसी की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील अनिल साखरे ने बताया- जिस दिन लोगों को फर्जी टीके लगाए गए उन्हें वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट उसी दिन नहीं दिए गए। बाद में ये अलग-अलग हॉस्पिटल के नाम से जारी किए गए। इसके बाद लोगों को महसूस हुआ कि टीकाकरण में कुछ गड़बड़ है। दरअसल इन हॉस्पिटलों ने बताया कि उन वैक्सीनेशन सेंटर में जिन शीशियों का इस्तेमाल हुआ वो उन्होंने उपलब्ध ही नहीं करवाई थीं।
वकील अनिल साखरे ने बताया कि इस संबंध में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भी एक पत्र लिखा गया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून तय की है। साथ ही राज्य सरकार और बीएमसी को आदेश दिया कि वो कोर्ट के सवालों और निर्देशों का जवाब देने के लिए हलफनामा दाखिल करें।
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