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देश के वीर सपूत हनुमनथप्पा आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। दिल्ली के आर्मी अस्पताल में आज लांस नायक हनुमनथप्पा ने 11:45 बजे अंतिम सांस ली। इससे पहले हनुमनथप्पा का ताजा मेडिकल बुलेटिन जारी हुआ था। जिसमें उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और दवाओं का भी असर नहीं हो रहा था। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।
सियाचिन में 6 दिनों तक भारी बर्फ के नीचे दबे रहे लांसनायक हनुमनथप्पा की हालत काफी दिनों से गंभीर बनी हुई थी। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी किडनी और लिवर ने काम करना बंद कर दिया था। वह गहरे कोमा में थे। डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक, हनुमनथप्पा के ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी और दोनों फेफड़े निमोनिया की चपेट में आ गए थे। उधर दूसरी तरफ हनुमंथप्पा की मौत के बाद पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। देश के वीर सपूत को बचाने के लिए सबसे पहले यूपी के दो लोग आगे आए थे। लखीमपुर खीरी जिले की एक महिला और एक रिटायर्ड सीआईएसएफ हेडकॉन्स्टेबल प्रेम स्वरूप ने अपनी किडनी देने की पेशकश की थी। सरिता नाम की इस महिला ने कहा कि जब देश के लिए एक जवान अपनी जान दे सकता है तो क्या मैं अपनी किडनी भी नहीं दे सकती।
गौरतलब है कि सियाचिन में देश की हिफाजत के लिए तैनात लांसनायक हनुमनथप्पा 35 फीट मोटी बर्फ की परत के नीचे करीब छह दिन तक दबे रहे। सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वह जीवित अवस्था में मिले थे। उनकी हालत बेहद खराब थी। काफी दिनों से दिल्ली के आर.आर. अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था
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