प्रधानमंत्री कार्यालय में यह तय होगा कि कौन अपनी गाडी पर लाल बत्ती लगा सकता है| इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी है जिसमे विभिन्न मंत्रालयों के साथ हुए पत्राचार कानूनी राय और अब तक मिले सुझावों का ब्योरा भी शामिल है | प्रधानम्नत्री दिल्ली के सेना के अस्पताल में एक जवान को देखने गए थे तो वे बिना किसी सिक्योरिटी और लाल बत्ती की गाड़ी के वहां पहुंचे थे इसके अलावा पीएम मोदी खुद बिना किसी ट्रैफिक प्रतिबंध के बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेने एयरपोर्ट गए थे|
सूत्रों ने बताया कि गडकरी ने इस मसले पर कैबिनेट के अपने सहयोगियों गृह मंत्री राजनाथ सिंह वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राज्यों के अलावा आम नागरिकों से राय लेकर एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय दो महीने पहले भेज दी है केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी चाहते हैं कि केंद्र में राष्ट्रपति उप-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री लोकसभा स्पीकर और देश के चीफ जस्टिस को ही यह विशेषाधिकार मिले|
सेंट्रल मोटर वेहिकल्स एक्ट 1989 के नियम के मुताबिक गाड़ियों पर बत्ती लगाने के अधिकारी हैं;
1. लाल बत्ती फ्लैशर के साथ :
राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति पूर्व राष्ट्रपति प्रधानमंत्री भारत के चीफ जस्टिस लोकसभा स्पीकर कैबिनेट मंत्री हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीश पूर्व प्रधानमंत्री नेता विपक्ष राज्यों के मुख्यमंत्री.
2. लाल बत्ती बिना फ्लैशर :
मुख्य चुनाव आयुक्त सीएजी लोकसभा उपाध्यक्ष राज्य मंत्री सचिव स्तर के अधिकारी एम्बुलेंस पुलिस की गाड़ियाँ और इमरजेंसी सेवा की गाड़ियां.
3. पीली बत्ती :
कमिश्नर इनकम टैक्स रिवेन्यू कमिश्नर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर पुलिस अधीक्षक.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन एक बात साफ है कि लाल बत्ती का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत कम हो जाएगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे लागू कराने के लिए कड़े नियम और जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा प्रधानमंत्री खुद लाल बत्ती कल्चर को खत्म करने के पक्षधर हैं और चाहते हैं कि लाल बत्ती की संख्या को कड़ाई से नियम बना कर ख़त्म किया जाए |
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