
तेहरान: ईरान ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) के साथ अपने सहयोग को निलंबित करने का ऐलान किया है। यह फैसला ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने बुधवार को किया। उनका यह कदम इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमलों के बाद सामने आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निलंबन की आड़ में ईरान परमाणु बम बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। इससे इजरायल और अमेरिका में भारी चिंता फैल गई है, क्योंकि पहले भी अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि ईरान के परमाणु संयंत्रों से संवर्धित यूरेनियम चोरी हो चुका है, जिससे संभावित रूप से 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।
ईरान का नया कानून और उसके कारण
ईरान की संसद ने पहले ही इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद अब राष्ट्रपति पेजेशकियन ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस कानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है, "ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं के संबंध में इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईरान की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया गया है, जिसके कारण ईरान के सर्वोच्च हितों को खतरा हुआ है। ऐसे में, 1969 वियना संधि के अनुच्छेद 60 के तहत, सरकार परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत किसी भी सहयोग को निलंबित करने के लिए बाध्य है, जब तक कि सुविधाओं और वैज्ञानिकों की सुरक्षा से जुड़ी शर्तें पूरी नहीं हो जातीं।"
IAEA पर ईरान के गंभीर आरोप
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघई ने सोमवार को कहा, "ईरान के परमाणु स्थलों पर इजरायल और अमेरिकी हमलों के बाद, IAEA से कोई सामान्य सहयोग नहीं हो सकता, जब तक वे निरीक्षकों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देते।" ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर यह भी कहा, "हमने IAEA के साथ सहयोग तब तक रोक दिया है, जब तक हमारी परमाणु गतिविधियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती।"
IAEA के प्रमुख के दौरे को नकारने की संभावना
अराघची ने यह भी संकेत दिया कि तेहरान संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख राफेल ग्रॉसी द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों का दौरा करने के किसी भी अनुरोध को अस्वीकार कर सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रॉसी ने IAEA के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा ईरान के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने में मदद की थी, जिसे उन्होंने "राजनीतिक रूप से प्रेरित" करार दिया।
IAEA की सुरक्षा को फेल मान रहा ईरान
ईरानी विदेश मंत्री ने यह भी दावा किया कि ईरान की परमाणु सुविधाओं पर किए गए अमेरिकी और इजरायली हमले IAEA के सुरक्षा उपायों का घोर उल्लंघन थे, और IAEA प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने इस पर कोई निंदा नहीं की। अराघची ने इसे एक "अर्थहीन" कदम बताते हुए कहा कि ग्रॉसी का ईरान में परमाणु हमलों का दौरा करने की इच्छा "संभावित रूप से दुर्भावनापूर्ण" हो सकती है।
IAEA की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद, IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने ईरान में सत्यापन गतिविधियां जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका मानना है कि IAEA के निरीक्षकों को ईरान में अपने कार्यों को बिना किसी रुकावट के जारी रखना चाहिए ताकि परमाणु गतिविधियों की निगरानी और सत्यापन सही तरीके से किया जा सके।
क्या है इस फैसले का प्रभाव?
ईरान का यह कदम इजरायल, अमेरिका और वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है। परमाणु बम बनाने की दिशा में ईरान का यह कदम न केवल मध्य पूर्व क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकता है। इस घटनाक्रम से परमाणु अप्रसार संधि (NPT) की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठने लगे हैं, और अब पूरी दुनिया इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या ईरान अपनी परमाणु नीति को पूरी तरह से बदलने जा रहा है।
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