नई दिल्ली : पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की बेटी ने रमजान में सार्वजनिक रूप से खाने-पीने पर तीन महीने जेल की सजा वाले एहतराम-ए-रमजान कानून पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि देश में जहां आतंकी हमला करते हैं, लोगों को मारते हैं फिर भी उन पर कार्रवाई नहीं होती है, जबकि रमजान में पानी पीने पर तीन महीने जेल की सजा का कानून गलत है।
बख्तावर भुट्टो ने ट्वीट करके एहतराम-ए-रमजान कानून पर सवाल उठाये हैं, और कहा कि लोगों की इस हास्यास्पद कानून की वजह से मौत हो रही है। उन्हें हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से गुजरना पड़ता है। इस कानून के सभी लोग योग्य नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये इस्लाम नहीं है। आपको बता दे कि बख्तावर भुट्टो, पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बेटी हैं। एहतराम-ए-रमजान कानून 1981 में जिया उल हक के जमाने का है। इस कानून को हाल ही में और भी सख्त किया गया है, इसमें मौद्रिक दंड भी बढ़ाया गया है।
बख्तावर भुट्टो ने मलाला के स्कूल में आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यहां स्कूली बच्चों के स्कूल में आतंकी हमला करते हैं, बच्चों को मारते हैं फिर भी पकड़े नहीं जाते और खुला घूमते हैं लेकिन रमजान के दिन पानी पीने पर जेल भेज दिया जाता है। आपको बता दें कि इसी हफ्ते पाकिस्तानी संसद ने रमजान के महीने को लेकर अपने 1981 के कानून में बदलाव करते हुए जेल की सजा के साथ 500 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा नए कानून में रमजान के दौरान कानून को तोड़ने वाले होटलों और रेस्तरां पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया गया है। वहीं कानून में बदलाव के बाद अगर कोई टीवी चैनल और सिनेमा हॉल ये कानून तोड़ते हैं तो उन पर 50 हजार रुपये या उससे भी ज्यादा का जुर्माना लगाया जा सकता है।
बख्तावर भुट्टो ने आगे कहा कि रोजा रखना इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों में से एक है, ये बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन इसमें ये नहीं है कि आप ऐसा नहीं करने वालों को गिरफ्तार कर लें, उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। ये इस्लाम में कहीं नहीं लिखा है।
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