शिवसेना ने उत्तर प्रदेश के दो अस्पतालों में हुई कई बच्चों की मौत को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आज कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा ‘देवदूत’ की बजाय ‘यमदूत’ है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाए कि अगर सरकारी तंत्र खुद ‘‘ऑक्सीजन पर’’ जी रहा हो तो वह मरीजों को कैसे ऑक्सीजन मुहैया कराएगा। अधिकारियों ने कल कहा कि उत्तर प्रदेश के फरूर्खाबाद जिले में एक महीने में कम से कम 49 शिशुओं की मौत हो गयी जिनमें से अधिकतर की मौत ‘‘पेरीनैटल एस्फिजिया’’ के कारण हुई। पेरीनैटल एस्फिजिया एक स्वास्थ्य दशा है जिसमें नवजात शिशुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है।
गोरखपुर में पिछले महीने एक सरकारी अस्पताल में दो दिन में 30 बच्चों की मौत हुई थी और उसी त्रासदी के दोहराव का संकेत करते हुए फरूर्खाबाद में कई अभिभावकों ने अधिकारियों से कहा कि शिशुओं को ऑक्सीजन एवं दवाएं मुहैया कराने में देरी हुई। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा को देवदूत होना चाहिए लेकिन उत्तर प्रदेश में वह यमदूत साबित हुई।’’ पार्टी ने कहा, ‘‘करीब छह साल पहले जब पश्चिम बंगाल में एक पखवाड़े के भीतर 50 बच्चों की मौत हुई थी तब ममता बनर्जी सरकार की कड़ी आलोचना करने वाले अब उत्तर प्रदेश में सत्ता में हैं।’’
शिवसेना ने कहा कि दो अस्पतालों में कथित रूप से ऑक्सीजन की आपूॢत के कारण बच्चों के मारे जाने से उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर प्रश्नचिह्न खड़े होते हैं। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी ने यह भी कहा कि क्या राज्य प्रशासन सरकार के आदेशों को गंभीरता से ले भी रहा है या नहीं। शिवसेना ने पूछा कि राज्य में मौत और उसके बाद अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का चक्र और कितनी बार दोहराया जाएगा। पार्टी ने कहा, ‘‘गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोग सरकारी अस्पतालों में जाते हैं। वे उपचार और बीमारी से उबरने के लिए सरकारी चिकित्सा सेवाओं की तरफ देखते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा स्वास्थ्य सेवा कम प्रभावी है।’’
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